वेदों का सद् उपदेश है
वेदों का सद् उपदेश है,
सुनलो ध्यान लगाय।
भव बन्धन दुर होता है,
आत्म के ज्ञान से,
प्रभु के चरणों में समर्पित हो,
अपने को जान ले।
यह मिथ्या सब प्रपंच है,
सत्य ब्रह्म पहचान ले।
मै ब्रह्म निश्चय करले,
महा वाक्य प्रमाण से।
भव बन्धन दुर होता है,
आत्म के ज्ञान से,
मन के मल को दुर कर,
सत्कर्म कर के।
चंचलता मन की हटा दे,
प्रभु ध्यान धर धर के।
मै नर अभिमान भगा दे,
अहम ब्रह्म में स्थित होकर।
भव बन्धन दुर होता है,
आत्म के ज्ञान से,
कोश पंचक से परे,
जो साक्षी ब्रह्मस्वरूप।
सब देवो का देवता,
सब भूपो का भूप।
अविधा मल को धो डालो,
ज्ञान गंगा स्नान से।
भव बन्धन दुर होता है,
आत्म के ज्ञान से,
जब निज को साक्षी जाना,
सब संकट दूर भये।
हर्ष शोक अपमान अरू मान,
सब ही भाग गये।
बस परमानन्द समाये,
मिले जाकर भगवान से।
भव बन्धन दुर होता है,
आत्म के ज्ञान से,
वेदों का सद् उपदेश है
सुनलो ध्यान लगाय।
जय श्री राम अनीता गर्ग