एक दीन द्वारे आया हैं, एक दास द्वारे आया हैं हरि दीन तो गया
अब सांझ भई, चहुंओर अंधेरा छाया हैं, घोर अंधेरा छाया हैं
मांझी बनके, प्रभु पार करो, भव सागर से, प्रभु पार करो
एक दीन द्वारे आया हैं, एक दास द्वारे आया हैं
दया रघुवर दया, दया प्रभुवर दया
हे राम पिता जो मुझमें ना हो, जग का कोई ऐसा दोष नहीं
आत्मा की जीर्ण तिजोरी में, पुण्यों का संचित कोष नहीं
आत्मा की जीर्ण तिजोरी में, पुण्यों का संचित कोष नहीं,
एक राम रतन, कर-कर के जतन, कठिनाई के साथ कमाया हैं
कठिनाई के साथ कमाया हैं
भव सागर से, प्रभु पार करो
एक दास द्वारे आया हैं, एक दीन द्वारे आया हैं
दया रघुवर दया, दया प्रभुवर दया
अज्ञान अवस्था में भगवन, गया बचपन खेल खिलौनों में
यौवन की आपा धापी में, नहीं भेट हुई हम दोनो में
मिथ्या निकले, जब सारे भ्रम, तब तुमसे नेह लगाया हैं,,,
…तुमसे नेह लगाया हैं,,,
भव सागर से प्रभु पार करो, भव सागर से प्रभु पार करो,,
एक दीन द्वारे आया हैं, एक दास द्वारे आया हैं,
दया… रघुवर दया,,, दया… प्रभुवर दया
मुझे लख चौरासी योनियों में, इस बार प्रभु अनमोल मिलें
युग-युग के गुंगे भावो को, दर्शाने वाले बोल मिलें
तुमने तो सदा, पथ भूलों को, करुणा करके अपनाया हैं,
अपना कह के अपनाया हैं
भव सागर से, प्रभु पार करो, भव सागर से प्रभु पार करो,
एक दीन द्वारे आया हैं, एक दास द्वारे आया हैं,