हे हरि अब न मोहि बिसारो..
जन्म जन्म भटकत मोहि बीते…
अब तो मोहि आन उबारो…
हे हरि अब न मोहि बिसारो..
गिरिधर गिरिधर रटूं आठों याम ..
पल पल प्रियतम तोहे पुकारुं…
श्वास श्वास में तुम ही साजन..
दिन रैन तोरि बाट निहारुं..
जाऊं कहाँ तजि तुम को प्रियतम..
कुछ तो तुम भी बिचारो..
हे हरि अब न मोहि बिसारो..
भव बंधन में डुबूं निश्दिन…
इक तेरा ही नाम उचारुं…
तुम बिन मोहे कुछ न भावे..
बिन तुम पिहू कोयल कुंज न सुहावे..
टेरत टेरत उमरिया बीती..
ओर छोर हित ठौर न पावे..
हे हरि अब न मोहि बिसारो..
प्रेम प्याले सों छकी बांवरी…
दासी तजी हित जीवन आस री…
अब तो मेरी ओर निहारो..
हे हरि अब तो आन उबारो..
हे हरि अब न मोहि बिसारो..
जन्म जन्म भटकत मोहि बीते…
अब तो मोहि आन उबारो…
हे हरि अब न मोहि बिसारो..