सैर करन को चली गोरा जी

सैर करन को चली गोरा जी
नारद मुनि ने दी मती, कहे गोरा जी हमें सुना दो, अमर कथा शिव मेरे पति।
कहे नाथ जी सुनो गोरा जी , ज्ञान तुम्हे किसने दीन्हा, इतने दिन रही संग मै, अब क्यों हो गई प्रवीना।
कहे गोराजी सुनो नाथ जी, ज्ञान मेरे सतगुरू ने दीन्हा, बिना सुने इस अमर कथा को, सफल जग में नहीं जीना।
कहे नाथ सुनो गौरा जी , तुम 108 दफा मरी, उठा उठा कर हमने तुम्हारे, रूण्ड काट झोली में भरे।मन न सुमरली रूंडो की माला तुम जानो मेरी रती रती। कहे नाथ जी सुनो तेरे रुंडो की माला बनाकर डाली गले में, देव कहे ये लगे भली। मन ने सुमर ली रूंडो की माला। हृदय ने पकड ली
तेरे रुण्डो की माला बनाकर डाली गले में, देव कहे ये लगे भली
मन ने सुमरी दिल ने पकडी
तुम मानो मेरी रती पती
कहे गोरा जी हमें सुना दो, अमर कथा शिव मेरे पति।
लेके गुफा में बिठाई पार्वती
उत्तराखंड के दरम्यान
सिंह रूप धरा भोले ने जीव जन्तु सब उड़ा दीये लेके गुफा में बैठाई गौराजी अमर कथा सुनाने लगे शब्द हुआ जब अमर कथा का
नयनो में निद्रा झुक आयी वहां पर बैठा सुने था तोता,तोता हो गया अमर जति। सभी रंग में सभी रूपमे  उस तोते ने कथा सुनी। सुन भोले की अमर कथा तोता हो गया अमर जति कहे गौराजी हमे सुनादो अमर कथा शिव मेरे पति।
अमर कथा जब हुई सम्पूण

शिव गोरा से कहने लगे आलस करके उठी गौराजी हमतो सुनने ना पाये क्रोध हुआ भोले के मन मे ले त्रिशल घुमाने लगे यहाँ पर बैठे हम तुम दोनो कोन जीव सुनने आया इतनी बात सुनी तोते ने अपने मन में घबराया उड़ते-उडते उस तोते को कही ठिकाना नही पाया वेद व्यास देव  घर खड़ी थी रानी उसके मुख मे जा समाया
बंद




बारह वर्ष का ध्यान लगाया बाहर निकलने ना पाया  बारह वर्ष जाब हुए सम्पूर्ण +2 शिवा ने धना चक लीन्हा तोते से शुकदेव बनने वेद व्यास के घर जन्म लिया
ऋषी मुनी और देवी देवता और आये हैं सैन्यासी बारह महीने मेला लगता श्रावण की पूर्णमासी। मोहन गीरी ने  कथा सुनाई है वे गोकुल के निवासी कहे गोरा जी हमे सुना दो अमर कथा शिव मेरे पति  सुनेगा उसकी कर जायगी चौरासी
तारीख

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