तेरी मेहरबानी का है बोझ इतना

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तेरी मेहरबानी का है बोझ इतना,
की मैं तो उठाने के काबिल नही हूँ ।

मैं आ तो गया हूँ मगर जानता हूँ,
तेरे दर पे आने के काबिल नही हूँ ॥

ज़माने की चाहत में खुद को भुलाया,
तेरा नाम हरगिज़ जुबा पे ना लाया ।
गुन्हेगार हूँ मैं खतावार हूँ मैं,
तुझे मुहं दिखने के काबिल नही हूँ ॥

तुम्ही ने अदा की मुझे जिंदगानी,
मगर तेरी महिमा मैंने ना जानी ।
कर्जदार तेरी दया का हूँ इतना,
कि कर्जा चुकाने के काबिल नही हूँ ॥

ये माना कि दाता है तू कुल जहान का,
मगर झोली आगे फैला दूँ मैं कैसे ।
जो पहले दिया था वो कुछ कम नही है,
उसी को निभाने के काबिल नही हूँ ॥

तमन्ना यही है की सर को झुका दू,
तेरा दीद दिल में मैं एक बार पालू ।
सिवा दिल के टुकड़ो के ऐ मेरे दाता,
कुछ भी चडाने के काबिल नहीं हूं



The burden of your kindness is so much, That I am not capable of lifting.

I have come but I know I am not able to come at your rate.

Forgetting myself in the desire of time, Did not bring your name on Juba at all. I am a criminal, I am a dungeon, I am not able to see you face.

You have given me life, But I did not know your glory. I am so much indebted to you, That I am not able to repay the loan.

It is believed that you are the giver of the total world, But how can I spread the bag further? What was given earlier is nothing less, I am not capable of doing that.

My wish is to bow my head. I will cherish you once in your heart. Except the pieces of my heart, O my giver, I can’t afford anything

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