यमुना के तट पर जैसे भजाते थे,
अपनी राधा को मोहन कैसे भूलते थे,
हमको भी धुन वो सुना दो कान्हा जी जरा बांसुरी बजा दो,
हम भी जने वो कान्हा उस धुन में कैसी जादू थी,
जिसको सुन के राधा जी हो जाती बेकाबू थी,
हम भी तो देखे कैसे जादू चलते थे,
कैसे मुरली बजा के राधा को नाचते थे,
हम को भी जद्दू सीखा दो कान्हा जी जरा बांसुरी बजा दो,
सुनते है वृद्धावन में तुम खूब रास रचाते थे,
यमुना तट पे गोपियों को कान्हा खूब सताते थे
अपनी मियां से क्या बहाना बनाते थे,
हम को बहाना वो बता दो कान्हा जी जरा बांसुरी बजा दो,
मेरो कन्हियान प्यारे इक ही अरमान है,
हम को कुछ न चाहिए बस सुन नी मुरली की तान है ,
हम सब की ईशा पुगा दो कान्हा जी जरा बांसुरी बजा दो,
As used to be worshiped on the banks of Yamuna,
How did Mohan forget his Radha?
Let us also hear that tune, Kanha ji, just play the flute,
We also knew that Kanha what was the magic in that tune,
Hearing which Radha ji became uncontrollable,
We also saw how magic used to work,
How used to dance to Radha by playing the murli,
Let us also learn jaddu, Kanha ji, just play the flute,
It is heard that you used to make a lot of love in old age,
Kanha used to harass the gopis on the banks of Yamuna.
When Mohan ji used to scold when he went home,
What excuse did you make with your mother?
Tell us that excuse, Kanha ji, just play the flute,
My Kanhiyan dear is the only desire,
We don’t need anything, just listen to the tone of the murli,