आरती के भाव

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हम सुबह उठते ही भगवान को याद करते हैं घर के कार्य चल रहे हैं दिल कहता है कि जल्दी से भगवान की पुजा कर जब तक पुजा नहीं करते तब तक मन ही मन भगवान को प्रणाम और वन्दन करते हैं दिल में एक ही भाव भगवान को तुने अभी तो भजा ही नहीं है देख आरती जल्दी से कर लु। मन में ठहर ठहर कर भाव का बनना भी पुजा है।

हम आरती करते हुए भगवान को शीश नवा कर प्रणाम करते हैं। गुरु देव के चरणो में ऋषि मुनियों को सन्तों को भगवान के भक्तों को नमन और वन्दन करते हैं। ये शीश प्रभु प्राण नाथ के चरणो में नतमस्तक हो जाता है प्रथम पुजा घर के देवी देवताओं की है जिससे घर में सुख-शांति बनी रहे। कथा के चक्कर में हमनें भगवान से नहीं जुड़ पाते हैं।

आज सुबह होते ही T. V पर कथा सुनने का प्रचलन चल गया है। हमे परमात्मा को दिल में बिठाना है।आरती सुबह उठते ही कर सकते हैं। एक भक्त देखता है। आरती सुबह उठते ही करते हैं तब घंटी बजाने के समान हैं। आरती करली भगवान का कार्य कर लिया।

एक भक्त कहता है मुझे भगवान की आरती का कार्य पुरण नहीं करना है। पहले दिल में भाव बने प्रभु प्राण नाथ को सौ-सौ बार प्रणाम करू। ठहर ठहर कर प्रभु की याद दिल में जगे। तङफ की लहर पैदा हो। आंखों में बसाऊ ईश्वर की याद में वीणाएं बजने लगे। शिश प्रभु चरणों में समर्पित हो तब आरती करने का आनन्द हैं।मन मन्दिर में घंटे बजने लगे। शंख-घंटियों की आवाज कानो में गुंजायमान हो। अन्तर्मन का दीपक प्रज्वलित हो। भक्त भगवान की आरती करते हुए भक्त नहीं है। सबकुछ प्रभु है।

  जय श्री राम
अनीता गर्ग

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