जय श्री राम नाम जप करें नाम जप को माला लेकर तो करे ही साथ नाम जप को अन्तर्मन मे बिठा ले एक समय के पश्चात नाम जप करते हुए सांस की problem बढऩे लगती है।
ऐसे में नाम भगवान को हर समय हर घङी हर क्षण अपने अन्तर्मन मे बिठा कर रखे नाम भगवान को कैसे अन्दर बिठा कर रखे प्रातः काल उठते ही नाम भगवान राम राम राम उठ कर चलते हुए राम राम पानी पिते हुए राम राम 1राम राम 2रामराम बैठते हुए राम राम राम walking करते हुए।
राम राम परमात्मा को प्रणाम है हे ईश्वर हें जगत पिता तुम्हारे चरणों प्रणाम है ।स्नान करते हुए हे नाथ यह आप ही स्नान कर रहे हैं। यह प्रकाश पुंज परम सत्य स्वरूप परमात्मा का है राम राम राम पुजा करते हुए आरती कर रही हू चरणों को निहारते हुए राम राम राम राम हमारी वाणी आरती बोलती है मन में राम नाम को बिठा दे वाणी और मन दोनों भगवान श्री हरि के चरणों में समर्पित कर दिए हैं।
किचन का कार्य करते हुए राम राम श्री राम राम तब भक्त शरीर रूप से गौण हो जाता है हे नाथ सबमे आप विराजमान हो आप कर्ता कर्म और कारण हो आप हे नाथ आपकी इस लिला को समझ नहीं पाती हू राम राम श्री राम परम पिता परमात्मा को प्रणाम है ।
सब्जी कटिंग करते हुए राम आत्मा ईश्वर है मै शरीर नहीं हूँ शरीर मेरा नहीं है ।मुझमें चेतन हैं तभी तक शरीर खङा है आत्म तत्व के प्रकाश से किचन प्रकाशमान है यह नाम भगवान का नाम और स्तुति भी तु नहीं कर रही है।
यह परमात्मा की कृपा से परमात्मा ही कर रहे हैं। राम राम श्री राम ऐसे कब भोजन बना पता ही नहीं है राम राम जय श्री राम आत्मा ईश्वर है हम यह भगवान नाम मौन होकर लेते रहे। राम राम राम हमें देखना यह है कि हमारी दृष्टि अन्दर का कितना देखती है।
आत्म विश्वास आत्म जागृति आत्म तत्व का कितना चिन्तन करती है। मै और मेरापन मौन नाम मे ही मिट सकता है बोल कर नाम लेने पर हम आनंदित होते है जो आनन्द कुछ समय के लिए प्रकट होता है। क्योंकि वह बाहर का आनंद है बाहर की बाहर ही रह जाती है वह सच्चा आनंद नहीं है।
इस भाव मे हम शरीर से सबकुछ करते हुए भगवान को अन्तर्मन से भज रहे हैं नाम भगवान हर क्षण हमारे साथ है निश्चल आनंद आपके अन्दर है। हम अधिक नहीं कर सकते हैं तब कुछ समय अन्तर्मन से भगवान का नाम सिमरण स्मरण करे ।
बाहर से मौन है और मौन भी नहीं है। क्योंकि घर के सब सदस्य के साथ प्रति-दिन का व्यवहार वैसे ही करते हैं। अन्तर्मन आनंद सागर है।
जय श्री राम अनीता गर्ग