भगवान को शुद्ध भाव से भजे

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भगवान से मिलन के लिए लगन समर्पित भाव प्रेम और सत्यता हैं। कोई भी कार्य करे जब तक मन लगाकर लगन से नहीं करते हैं तब तक हमारे अन्दर प्रेम शान्ति और शुद्ध चरित्र का निर्माण नहीं होता है। हम क्या करते हैं भगवान पर विस्वास नहीं करते हैं। मीराबाई भगवान् कृष्ण से प्रेम किया और भगवान को हृदय में धारण किया है। भगवान इच्छा पुरती का साधन नहीं है। आज हम भगवान को निज स्वार्थ की पुरती और सुख का स्त्रोत समझ कर याद करते हैं। भगवान को दिन रात भजते नहीं है। अपने आप से अपनी आत्मा से यह नहीं पुछते कि तु भगवान से प्रेम करने के लिए मर मिटने के लिए पुकार रहा है कि भगवान की देश की शान्ति के लिए तेरी पुकार है। जिसने परमात्मा को दिल में बिठाया है वहीं समझ सकता है कि उसका भगवान कैसे कण-कण में निवास करता है और कैसे वह सबकी नजरो से बचाकर दिल ही दिल में अपने स्वामी की सेवा करता है। जय श्री राम
अनीता गर्ग



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