नारद मुनि जी को ब्रह्मा जी का मानस पुत्र कहा जाता है।
इस पावन पर्व के उपलक्ष्य पर देश भर में कई प्रकार के धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इन्हें इस विश्व का, ब्रह्ममाण्ड का सर्वप्रथम पत्रकार भी कहा जाता है। नारद मुनि को सदैव भ्रमण शील होने का वरदान मिला हुआ था।*
*इसलिए वह कभी भी एक स्थान पर अधिक समय नहीं रहते। हिन्दू शास्त्रों के अनुसार नारद जी को ब्रह्मा जी के सात मानस पुत्रों में से एक माना गया है। नारद जी को देवताओं के ऋषि माना जाता है, इसी कारण उन्हें देवर्षि भी कहा जाता है। मान्यता है कि नारद मुनि तीनों लोकों में विचरण करते रहते हैं। नारद मुनि भगवान श्री विष्णु के भक्त और सदैव *नारायण नारायण नाम का स्मरण करते हुए एक स्थान से दूसरे स्थान पर भ्रमण करते रहते हैं। देवर्षि नारद भक्ति तथा शक्ति का अदभुत समन्वय रहे हैं। यह सदैव लोक कल्याण के प्रचार और प्रसार को अविरल गति से प्रवाहित करने वाले एक महत्वपूर्ण ऋषि भी हैं।
शास्त्रों के अनुरुप सृष्टि में एक लोक से दूसरे लोक में विचरण करते हुए नारद मुनि सभी के कष्टों को प्रभु के समक्ष रखते हैं। सभी जन की सहायता करते हैं। देवर्षि नारद देव और दैत्यों सभी में पूजनीय स्थान प्राप्त करते हैं। सभी वर्ग इनका उचित सम्मान करते हैं, क्योंकि ये किसी एक पक्ष की बात नहीं करते हैं, अपितु सभी वर्गों को साथ में लेकर चलने की इनकी अवधारणा ही इन्हें सभी का पूजनीय भी बनाती है।*
*कुल 18 पुराणों में से एक नारद पुराण, ऋषिराज नारद मुनि को समर्पित है।*
*ब्रह्मऋषि नारद जी को शास्त्रों का रचयिता, आचार्य, भक्ति से परिपूर्ण, वेदों का जानकार माना गया। संगीत शास्त्र में भी इनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही है। इनके द्वारा किये गए अनेकों श्रेष्ठ कार्य*
*सृष्टि के संचालन में अत्यंत महत्व रखते है। माता लक्ष्मी जी का विवाह भगवान विष्णु के साथ होना, भगवान शिव का देवी पार्वती से विवाह संपन्न कराना, उर्वशी और पुरुरवा का संबंध स्थापित करना, महादेव द्वारा जलंधर का विनाश करवाना, महर्षि वाल्मीकि को रामायण की रचना निर्माण की प्रेरणा देना, व्यासजी से भागवत की रचना करवाना इत्यादि अनेकों कार्यों को उन्हीं के द्वारा प्रेरणा
सम्पूर्णता मिली। वेद एवं पुराण में ऋषि नारद जी के संदर्भ में अनेकों कथाएं प्राप्त होती हैं, हर स्थान में इनका होना उल्लेखनिय भूमिका दर्शाता है, चाहे शिवपुराण हो या विष्णु पुराण। श्रीमदभागवद में तो भगवान श्री विष्णु स्वयं को नारद कहते हैं..!!
ईश्वर सदैव हमारे संग हैं
Narad Muni ji is said to be the Manas Putra of Brahma ji. Various religious programs are organized across the country on the occasion of this holy festival. He is also called the first journalist of this world, the universe. Narad Muni was blessed with the boon of being always traveling. That’s why he never stays in one place for too long. According to Hindu scriptures, Narada is considered one of the seven Manas sons of Brahma. Narad ji is considered to be the sage of the gods, that is why he is also called Devarshi. It is believed that Narada Muni keeps on roaming in all the three worlds. Narad Muni, a devotee of Lord Shri Vishnu and always remembering the name Narayan Narayan, keeps traveling from one place to another. Devarshi Narada has been a wonderful combination of devotion and power. He is also an important sage who has always spread the promotion and spread of public welfare at an uninterrupted pace. According to the scriptures, Narad Muni, while moving from one world to another in the universe, keeps everyone’s sufferings before the Lord. Everyone helps people. Devarshi Narada gets a place of worship among all the gods and demons. All classes give them due respect, because they do not talk about any one side, but their concept of taking all classes together makes them revered by all. * Narada Purana, one of the total 18 Puranas, is dedicated to Rishiraj Narad Muni.* * Brahmarishi Narad ji was considered to be the author of the scriptures, Acharya, full of devotion, knowledgeable of the Vedas. His role in music has also been important. Many great works done by them * It is very important in the operation of the creation. Maa Lakshmi ji’s marriage to Lord Vishnu, Lord Shiva’s marriage to Goddess Parvati, Establishing the relation of Urvashi and Pururva, Mahadev destroying Jalandhar, Inspiring Maharishi Valmiki to compose Ramayana, Bhagwat from Vyasji Inspired by him for many works etc. Got perfection. In the Vedas and Puranas, many stories are found in the context of sage Narad ji, their presence in every place shows a significant role, whether it is Shiv Puran or Vishnu Purana. In Shrimad Bhagavad, Lord Shri Vishnu calls himself Narada..!! God is always with us
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