भगवान की भक्ति के अनेकों मार्ग है।किंतु हम जैसे गृहस्थ लोगो के लिए सबसे सहज मार्ग नाम जप या नाम संकीर्तन है। मन की कैसी भी अवस्था क्यों न हो, निरंतर जप करने से वह भी अभ्यस्त हो जाता है।केवल जीभ से निरन्तर भगवान का नाम लीजिये ।फिर सारी जिम्मेवारी भगवान
सँभाल लेंगे।
केवल जीभ से नाम-स्मरण–और कोई शर्त नहीं। मन लगे या न लगे।यदि भगवान का नाम जीभ से निरन्तर लेने लग जाए तो फिर न तो कोई शंका उठेगी ,न कोई चाह रहेगी।थोड़े ही दिनों में शान्ति का अनुभव करने लगेंगे। इससे सरल उपाय कोई नहीं है। पूर्व के पापों के कारण नाम लेने की इच्छा नहीं होती।
एक बार हठ से
निरन्तर नाम लेने का नियम लेकर ४-६ महीने बैठ जायेंगे, तो फिर किसी से कुछ भी पूछने की जरूरत नहीं रहेगी। स्वयं सत्य वस्तु का प्रकाश मिलने लगेगा, संदेह मिटने लगेंगे। इस प्रकार जिस दिन भजन करते-करते सर्वथा शुद्ध होकर भगवान को चाहेंगे, भगवान भी किसी न किसी रूप से मिल ही जायेंगे।
पहले मुंह से नाम लेने का अभ्यास करें,फिर मन ही मन अभ्यास करें। यह बहुत ही सहज है।परंतु आपको दृढ़ संकल्पित होना पड़ेगा। यदि मनुष्य भजन करना चाहे जरूर कर सकता है। यदि कोई कहता है- हमसे भजन नहीं होता तो समझ लीजिये कि सचमुच वह भजन करना चाहता नहीं। आपके चाहने पर भजन अवश्य हो सकता है।बिना परिश्रम ही सब हो जायगा। यह कलियुग है, मन लगना बड़ा ही कठिन है। बिरले ऐसे होते हैं, जिनका मन सचमुच भगवान में लग गया हो। पर यदि कोई जीभ से नाम लेने लगे ,तो फिर बिना मन लगे ही अन्त तक अवश्य कल्याण हो जायगा।
जय जय श्री राधे कृष्णा जी।श्री हरि आपका कल्याण करें।🙏🏻🌹