प्रभु मुझे तुम हवा का,
एक झोंका ही बना दो।
अपने दिल के मकरंद रस को,
लेकर हवा ऐसे चली,
उङते उङते हवा, मन्दिर में प्रवेश कर,
हरि चरणों का स्पर्श कर
मकरंद रस की भेंट
चरणों में अर्पण करके
कुछ देर हवा,
हरि को निहार कर,
छु कर तुम्हारी चरण रज,
लाकर मस्तक पर लगा दे
भक्त भाव विभोर हो,
हवा से पुछता है
अ हवा तुमने मेरे,
भगवान अराध्य नाथ,
के चरणों का स्पर्श,
तो किया होगा।
अ हवा तुमने मेरे प्राण नाथ को,
जी भरकर निहारा होगा।
भगवान श्री हरि के कोमल अंग,
मोटे कजरारे नैनो का,
रसपान किया होगा।
अ हवा तु बङ भागिनी है,
तुझे प्रभु ने स्वीकार किया है।
मुझे भी भगवान स्वीकार कर लेते
एक बार मै भी भगवान,
श्री हरि के दर्शन कर पाती
प्रभु प्राण नाथ को
हृदय में बिठा लेती
जब तक सांस चले एक ही चाहत कब मेरे प्रियतम से मिलन होगा। कभी नैन बन्द करके खो जाऊं ।अपने प्रभु से मिलन के सपने संजोऊं।जय श्री राम अनीता गर्ग
As long as the breath lasts only one wish, when will I meet my beloved. Sometimes I get lost by closing my nails. Cherish the dreams of meeting my Lord.Jai Shri Ram Anita Garg