मन साफ होना चाहिए

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बहुत से ऐसे लोग जो माला आदि करने में भजन के साधन आदि करने में आलसी हैं वह प्राय यह कहते हैं

जपमाला करने से कुछ नहीं होगा
दीप जलाने से कुछ नहीं होगा
तुलसी की परिक्रमा से करने से कुछ नहीं होगा । आदमी का मन साफ होना चाहिए

अब रहस्य की बात यह है कि यह सब क्रियाएं माला हो, सत्संग हो , सदाचार हो परोपकार हो, परिक्रमा हो, यह सब क्रियाएं डायरेक्टली भगवत प्राप्ति नहीं कराती हैं ।

पहले यह मन को ही साफ करती है । अंतः करण को ही शुद्ध करती हैं । जब अंतःकरण शुद्ध हो जाता है तब भगवत प्राप्ति या भगवत अनुभूति होती है

यह सब क्रियाएं मन साफ करने के लिए ही है और बड़ी कृपा है यदि इन साधनों के किए बिना ही किसी का मन साफ है तो उस को कोटि-कोटि प्रणाम है ।

लेकिन जो साधन का आलसी है उसका मन कैसे साफ हो सकता है। मन साफ करने की यह सारी क्रियाएं की नहीं हैं और मन साफ कैसे होगया ।

मन साफ होने के बाद फिर भजन में मन लगता है और भजन के प्रति परिचय प्राप्त होता है ।

अतः माला, जप, तिलक, सेवा, परिक्रमा, एकादशी आदि जितने साधन हैं, उनमे डट कर लगे ही रहना है । इनकी उपेक्षा ही यह बताती है कि मन अभी शुद्ध नहीं ।

जय श्री राधे



Many such people who are lazy in doing garlands etc., in doing the means of bhajan etc., they often say that

nothing will happen by chanting nothing will happen by lighting a lamp Nothing will happen by doing the circumambulation of Tulsi. man must be clear

Now the matter of mystery is that all these activities be it rosary, be it satsang, be it good conduct, benevolence, circumambulation, all these actions do not directly lead to attainment of God.

First it purifies the mind itself. Only the soul purifies itself. When the conscience is purified, then there is God realization or divine realization.

All these actions are only for clearing the mind and it is a great blessing, if someone’s mind is clean without doing these means, then he has a lot of respect.

But how can the mind of a person who is lazy of means become clean? These are not all the actions of clearing the mind and how the mind became clean.

After the mind is cleared, then the mind is engaged in the hymn and one gets to know about the hymn.

Therefore, you have to remain firmly engaged in all the means like rosary, chanting, tilak, service, parikrama, Ekadashi etc. Their neglect shows that the mind is not yet pure.

Jai Shri Radhe

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