मन में लोभ बिठाकर परमात्मा को ध्यान सिमरण और मनन करेगें। तो मन को कुछ प्राप्त नहीं होगा। प्रेम में प्रभु खिंचे चले आते हैं। प्रेमी के दिल में कोई इच्छा नहीं रहती है। प्रभु से जो प्रेम करता है। उसके दिल में एक ही इच्छा होती है कि प्राण नाथ प्यारे को मै ध्याता रहु ।प्रभु प्रेमी अपने भगवान को माला मुर्ति पाठो में नहीं ढुढता। वह अपने हृदय में प्रभु को बिठाकर हर किरया कर्म में भगवान के साथ खेलता है। जैसे मीराबाई भगवान के साथ खेलती थी।जय श्री राम अनीता गर्ग
प्राण नाथ प्यारे को मै ध्याता रहु ।प्रभु प्रेमी अपने भगवान को माला मुर्ति पाठो में नहीं ढुढता। वह अपने हृदय में प्रभु को बिठाकर हर किरया कर्म में भगवान को खोजता है। जैसे मीराबाई भगवान के भाव मे खो जाती थीं जय श्री राम अनीता गर्ग
By instilling greed in the mind, we will meditate and meditate on God. So the mind will not get anything. The Lord is drawn in love. There is no desire in the lover’s heart. One who loves the Lord. There is only one desire in his heart that I should meditate on Pran Nath Pyare. Lord lover does not find his God in rosary and idols. By keeping the Lord in his heart, he plays with the Lord in every action. Like Mirabai used to play with God.Jai Shri Ram Anita Garg
Pran Nath Pyare, I keep in mind. Lord lover does not find his God in rosary and idols. Keeping the Lord in his heart, he seeks God in every action. Like Meerabai used to get lost in the spirit of God Jai Shri Ram Anita Garg