हे परम पिता परमात्मा जी आज ये दिल तुमसे एक ही पुकार कर रहा है। कि हे स्वामी मै तुमको प्रणाम करती रहु। हे परमात्मा जी मै तुमको शीश झुका कर हाथ जोड़कर प्रणाम करती हूँ।हे परमात्मा जी, हे परमात्मा जी, मै तुमको प्रणाम करलु। गुरू देव को प्रणाम है। हे परमात्मा जी मैं जब सुबह उठकर काम करते हुए बार बार प्रेम से प्रणाम करने लगीं। हे परमात्मा जी ये दिल ये आंखै ये मन अन्तर्मन से तुमको प्रणाम करते हैं। मै कार्य करती जाती और प्रणाम करती। मुझे हर क्षण तुम्हारी याद आती और मैं परमात्मा जी को प्रणाम करती। परमेशवर स्वामी भगवान् नाथ को प्रणाम है। हे ईश्वर को प्रणाम करती । दिनबन्धु दीनानाथ को प्रणाम है। ज्योती रूप परमात्मा जी तुमको प्रणाम करती हूँ। मेरे प्रियतम स्वामी भगवान् नाथ को प्रणाम है। प्राण नाथ को प्रणाम है।कभी हाथ जोड़ती कभी शीश झुकाती मै समझ नहीं पाती कैसे अपने प्रभु को रिझाऊ। फिर पुछती हे परमात्मा जी क्या मेरी पुकार तुम तक पहुंचती है। हे परमात्मा जी कभी कभी तो तुम्हारा दिल भी मुझ से मिलना चाहता होगा। तुम भी मेरे पास आना चाहते होगें। दिल की आंखों से बरसे आसुं तुम तक पहुंचते होगें। दिल कहता है कि स्वामी एक बार मेरा प्रणाम स्वीकार कर लो। जैसे ही स्वामी प्रणाम स्वीकार करेंगे। मै उनमे समा जाऊगी। अपने भगवान् नाथ की बन जाऊगी। मेरा संसार तुम हो, मेरे अरमानों में तुम हो। आंखों में तुम बस गए हो, दिल की सब हसरतें पुरी हो गई। बाहर और भीतर तुम ही तुम हो। हर रूप में तुम्हारा नुर समाया है ।
अनीता गर्ग
O Supreme Father, Supreme Soul, today this heart is making only one call from you. That, O lord, I keep on bowing to you. O God, I bow down to you with folded hands. O God, I bow to you, O God. Salute to Guru Dev. Oh God, when I got up in the morning while working, I started bowing with love again and again. Oh God, these hearts, these eyes, these minds salute you from the innermost heart. I went to work and saluted. I would miss you every moment and I would bow to the Supreme Soul. Salutations to Parameshwara Swami Bhagwan Nath. O worshiping God. Salute to Dinabandhu Dinanath. I bow to you in the form of light, God. Salutations to my dearest Swami Bhagwan Nath. I salute Pran Nath. Sometimes I bow my head and sometimes I do not understand how to please my Lord. Then he asks, O God, does my call reach you. Oh God, sometimes your heart would also want to meet me. Would you like to come to me too? The tears pouring down from the eyes of the heart will reach you. The heart says that Swami accept my salutation once. As soon as the swami accepts the obeisance. I’ll get into them. I will become of my lord Nath. You are my world, you are in my desires. You have settled in the eyes, all the wishes of the heart have been fulfilled. You are you outside and inside. In every form your soul is engrossed. Anita Garg