भक्त भगवान को दिल में बिठाकर एक एक पल भगवान का चिंतन करता है। बाबा हनुमान जी को राम राम सुनाता है मै अनजाने में बाबा हनुमान से कहती हे हनुमानजी महाराज मै आप को राम राम सुनाती हूं मेरा बाबा हनुमान जी खुश होगा। सुबह उठते ही हनुमान चालीसा पढती तब पढती ही जाती दिल कहता अभी तो तुने हनुमान चालीसा पढा ही नहीं फिर पढती घर का कार्य करती हनुमान चालीसा पढती सुबह से शाम तक पढती रहती। बाल मन कुछ इच्छा नही बस हनुमान चालीसा पढती रहती। कई बार ऐसे लगता जैसे भगवान पीछे चलते हैं। मै जब हनुमान जी के मंदिर जाती थी तब बाबा हनुमान जी मेरे पीछे पीछे चलते मैं अन्तर्मन से प्रार्थना करती हे बाबा हनुमान जी मै एक गृहस्थ हूं मेरा कार्य घर को सुचारू रूप से चलाना है। मैने गृहस्थ धर्म को अपनाया है तब मेरा प्रथम कर्तव्य घर में सबकी सेवा करना है। हे बाबा हनुमान जी महाराज मै आपकी सेवा नहीं कर सकती हुं आप मन्दिर में ही विराजे रहो। मै जब भी मन्दिर जाती मुझे अहसास होता बाबा मेरे पीछे चल कर आ रहे हैं। और मै मन ही मन बाबा हनुमान जी महाराज से प्रार्थना करते हुए घर आ जाती। मुझे ये नहीं पता मै क्या कर रही हूं। और ये मै बाबा हनुमान जी से वास्तव में बात कर रही हूं।
फिर दिल में तङफ की लहर दौड़ जाती अहो मेरे बाबा हनुमान जी के विशाल रूप में है। क्या उस रूप की कोई पुरणतः सेवा कर पायेगा। क्या मेरे बाबा हनुमान जी को रात को ठण्ड नहीं लगती होगी। क्या मेरा बाबा हनुमान जी को दिन भर गर्मी भी लगती होगी। मेरा बाबा हनुमान जी महाराज विशाल रूप में है तब भुख भी अधिक लगती होगी। मेरा बाबा हनुमान जी महाराज सुबह से खङे खङे थक गए होंगे। हे बाबा हनुमान जी महाराज आप सुक्ष्म रूप धारण कर लो और मेरे दिल में विश्राम कर लो। हे बाबा हनुमान जी महाराज आप सुबह से भक्तो को दर्शन देते हुए भक्तों की इच्छा पुरती करते हुए थक गए होंगे हे बाबा हनुमान जी महाराज “मै” चाय पी रही हूं आप भी सुक्ष्म से आकर चाय पी लो। मै भगवान से बाबा हनुमान जी महाराज से प्रार्थना करते हुए कहती कि हे बाबा हनुमान जी महाराज जैसे आपके दिल में भगवान राम विराजे हुए हैं क्या कभी प्रभु श्री राम इस दासी के दिल में विराजमान होंगे। मेरा बाबा हनुमान जी तु राम राम सुन मै राम राम सुनाती और कहती मेरा बाबा हनुमान जी प्रसन्न हो जायेगा ये सब प्रार्थना अनजाने में मै हनुमान जी महाराज से करती रहती मुझे ये भी नहीं पता था कि ये सब सच्ची प्रार्थना है भगवान से कभी कुछ मांगने की इच्छा ही नहीं थी। दिल मे एक ही तमन्ना रहती मेरे भगवान को कोई कष्ट न हो।
यह सब नीज प्रार्थना है
जय श्री राम राम राम राम राम
अनीता गर्ग
Then there is a wave of negativity in the heart, oh my Baba is in the huge form of Hanuman ji. Will anyone be able to serve that form completely? Will my Baba Hanuman ji not feel cold at night? Will my Baba Hanuman ji also feel hot throughout the day? My Baba Hanuman ji Maharaj is in huge form, then hunger must have been more. My Baba Hanuman ji Maharaj must have been tired standing standing since morning. O Baba Hanuman ji Maharaj, take your subtle form and take rest in my heart. O Baba Hanuman ji Maharaj, you must have been tired of fulfilling the wishes of the devotees while giving darshan to the devotees since morning, O Baba Hanuman ji Maharaj, “I” am drinking tea, you should also come from the subtlest and drink tea. I prayed to God to Baba Hanuman Ji Maharaj and said that O Baba Hanuman Ji Maharaj, like Lord Ram is seated in your heart, will Lord Shri Ram ever sit in the heart of this maid. My Baba Hanuman ji listened to you Ram Ram, I would recite Ram Ram and say that my Baba Hanuman ji would be pleased, I used to do all these prayers inadvertently to Hanuman ji Maharaj, I did not even know that all these are true prayers, never ask God for anything. Had no desire. There is only one wish in my heart that my God should not suffer any harm.
It’s all a prayer
Jai Shri Ram Ram Ram Ram Ram
Anita Garg