पुजा अन्तर्मन की

buddha 1915589 6401120127737853333086

पुजा मन की है आपका अन्तर्मन पुजा करना चाहता है तब उनके सामने मस्तक नवा देने मात्र से पुजा हो जाती है। मन मे भाव नहीं है तब कितने देवी देवता के समाने घंटी बजाऔ।घंटी बजा रहे आरती कर रहे हैं लेकिन मन मन्दिर में न होकर इधर-उधर डोल रहा है भगवान के सामने खङे होकर हाथ जोड़ते ही मांगना शुरू करते हैं वह पुजा नहीं है। आप घर का कार्य कर रहे हैं साथ भगवान् को नमन और वन्दन कर लेते हैं तब भगवान स्वीकार कर लेते हैं आप मन्दिर में एक तस्वीर रखो कई रखो इससे कुछ फर्क नहीं पड़ता है। आपने मन्दिर में पुजा करके दिल के मन्दिर को सजाया है या नहीं ये बात सोचने की है। जय श्री राम
अनीता गर्ग



Share on whatsapp
Share on facebook
Share on twitter
Share on pinterest
Share on telegram
Share on email

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *