संत श्री बिहारीदास जी


एक रसिक संत हुए श्री बिहारीदास जी। मथुरा की सीमा पर ही भरतपुर वाले रास्ते पर कुटिया बनाकर भजन करते थे।

एक दिन पास ही के खेत मे शौच करने चले गए। उस दिन खेत के मालिक को कुछ आवाज आयी तो जाकर बाबा को खूब मुक्के मार कर पीट दिया…

और शोर करके अपने कुछ सखाओ को भी बुलाया। उन्होंने लंबी लकड़ियां और डंडा लेकर बाबा को पीटना शुरू किया तो बाबा के मुख से बार बार निकलने लगा..
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हे प्रियतम, हे गोकुलचंद्र, हे गोपीनाथ !!
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सबने मारना बंद किया, थोड़ी देर मे सुबह हुई तो देखा कि यह कोई चोर नही है, यह तो पास ही भजन करने वाला महात्मा है।
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आस पास के लोग जमा हुए और उन्होंने पुलिस को बुलाया।
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पुलिस ने आकर बाबा को गाड़ी में डाला और दवाखाने मे भर्ती करवाया। डॉक्टर ने दावा करके पट्टियां बांध दी।
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इसके बाद पुलिस इंसेक्टर ने पूछा, बता बाबा ! क्या घटना हुई है ?
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बाबा बोले मै शौच को गया था उसी समय कन्हैया वहां आ गयो ! उसने खूब मुक्के चलाये।
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वो कन्हैया खुद बहुत बड़ा चोर है फिर भी उसने अपने सखाओ को बुलाकर कहा, की खेत मे चोर घुस गया है।
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सखाओ ने छड़ी और लाठियों से पिटाई करी। बाद में कन्हैया ने पुलिस को बुलवाया और दवाखाने मे भर्ती कराया।
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फिर वही कन्हैया ने डॉक्टर बनकर इलाज किया और अब वही कन्हैया इंस्पेक्टर बनकर मुझसे पूछता है की तेरे साथ क्या घटना हुई ?
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सबने कहां की बाबा तो अटपटी सी बाते करता है, इनको कुछ दिन आराम की आवश्यता है।
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उसी रात बाबा भाव मे डूबकर हरिनाम कर रहे थे तब उनके सामने नीला प्रकाश प्रकट हुआ और श्रीकृष्ण सहित समस्त सखाओ का दर्शन उनको हुआ।
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भगवान ने कहा, बाबा ! ब्रज वासियो के प्रति तुम्हारी भक्ति देखकर मै प्रसन्न हूँ। तुमने ब्रजवासियो को दोष नही दिया और सबमे मेरे ही दर्शन किए।
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भगवान ने अपना हाथ बाबा के शरीर पर फेरकर उन्हें ठीक कर दिया।
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भगवान ने कहा तुम्हे जो माँगना है मांग लो। बाबा ने संतो का संग और भक्ति का ही वरदान मांगा।
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इस घटना से शिक्षा मिलती है की रसिक संतो की तरह सभी मे श्रीभगवान का ही दर्शन करना है और धाम वासियों को भगवान के अपने जन मानकर उनमे श्रद्धा रखनी चाहिए।
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जय जय श्री राधे

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