ठाकुर जी के हस्ताक्षर जो भक्त का रूप धारण कर के न्यायालय में किये , आज भी उसकी प्रतिलिपि भगत अपने साथ ले जाते है आइये जाने पूरी कहानी…..
मध्यप्रदेश में आगर मालवा नाम का जिला हैं। वहाँ के न्यायालय में सन 1932 ई. में जयनारायण शर्मा नाम के वकील थे। उन्हें लोग आदर से बापजी कहते थे। वकील साहब बड़े ही धार्मिक स्वभाव के थे और रोज प्रातःकाल उठकर स्नान करने के बाद स्थानीय बैजनाथ मन्दिर में जाकर बड़ी देर तक पूजा व ध्यान करते थे।
इसके बाद वे वहीं से सीधे कचहरी जाते थे …!
एक दिन रोजाना की तरह पूजा करने के बाद न्यायलय जाना था बापजी का मन ध्यान में इतना लीन हो गया कि उन्हें समय का कोई ध्यान ही नहीं रहा। जब उनका ध्यान टूटा तब वे यह देखकर सन्न रह गये कि दिन के 11 बज गये थे। वे परेशान हो गये क्योंकि उस दिन उनका एक जरूरी केस बहस में लगा था और सम्बन्धित जज बहुत ही कठोर स्वभाव का था। इस बात की पूरी सम्भावना थी कि उनके मुवक्किल का नुकसान हो गया हो। ये बातें सोचते हुए बापजी न्यायालय 12 बज
पहुँचे और जज साहब से मिलकर निवेदन किया कि यदि उस केस में निर्णय न हुआ हो तो बहस के लिए अगली तारीख दे दें …!
जज साहब ने आश्चर्य से कहा ….
”यह क्या कह रहे हैं। सुबह आपने इतनी अच्छी बहस की। मैंने आपके पक्ष में निर्णय भी दे दिया और अब आप बहस के लिए समय ले रहे हैं …!“
जब बापजी ने कहा कि मैं तो था ही नहीं ….
तब जजसाहब ने फाइल मँगवाकर उन्हें दिखायी। वे देखकर सन्न रह गये कि उनके हस्ताक्षर भी उस फाइल पर बने थे। न्यायालय के कर्मचारियों, साथी वकीलों और स्वयं मुवक्किल ने भी बताया कि ….
आप सुबह सुबह ही न्यायालय आ गये थे और अभी थोड़ी देर पहले ही आप यहाँ से निकले हैं …!
बापजी की समझ में आ गया कि उनके रूप में कौन आया था? समझ गए टेढ़ी टांग वाला काम कर गया.
उन्होंने उसी दिन संन्यास ले लिया और फिर कभी न्यायालय या अपने घर नहीं आये …!
इस घटना की चर्चा अभी भी आगर मालवा के निवासियों और विशेष रूप से वकीलों तथा न्यायालय से सम्बन्ध रखनेवाले लोगों में होती है। न्यायालय परिसर में बापजी की मूर्ति स्थापित की गयी है। न्यायालय के उस कक्ष में बापजी का चित्र अभी भी लगा हुआ है जिसमें कभी भगवान बापजी का वेश धरकर आये थे। यही नहीं लोग उस फाइल की प्रतिलिपि कराकर ले जाते हैं जिसमें बापजी के रूप मे आये भगवान ने हस्ताक्षर किये थे और उसकी पूजा करते हैं ….!
बिहारी जी के प्रेमियो यह घटना बताती है विश्वास पूरा हो तो ठाकुर जी काम भी पूरा करते है अधूरा नहीं रहने देते भगत की जिम्मेदारी को..!!जय जय श्री राधे
The signature of Thakur ji, which took the form of a devotee and performed it in the court, even today Bhagat carries a copy of it with him, let’s know the whole story…..
There is a district named Agar Malwa in Madhya Pradesh. In the court there, in 1932 AD, there was a lawyer named Jaynarayan Sharma. People used to respectfully call him Bapji. Vakil Saheb was of a very religious nature and after getting up every morning after taking bath, he used to go to the local Baijnath temple to worship and meditate for a long time. After that they used to go straight to the court from there…! One day, after worshiping as usual, he had to go to the court, Bapji’s mind became so absorbed in meditation that he did not care about time. When he lost his attention, he was stunned to see that it was 11 o’clock in the day. They got upset because on that day an important case of theirs was involved in the debate and the judge concerned was very harsh in nature. There was every possibility that his client was at a loss. Baapji court 12 o’clock thinking these things Arrived and requested to meet the judge sahib that if there is no decision in that case, then give the next date for debate…! The judge said in surprise. “What are they saying. You had such a good debate in the morning. I have also given judgment in your favor and now you are taking time for debate…!” When Bapji said that I was not there…. Then the judge called for the file and showed it to them. He was stunned to see that his signature was also on that file. Court staff, fellow lawyers and the client himself also told that…. You came to the court early in the morning and you have left here just a while back…! Bapji understood that who had come in his form? Understood the crooked leg was done. He retired on the same day and never came to court or his home again…! This incident is still discussed among the residents of Agar Malwa and especially the lawyers and people related to the court. An idol of Bapji has been installed in the court premises. There is still a picture of Bapji in that room of the court in which Lord Bapji once came disguised as Bapji. Not only this, people take away the copy of the file in which the Lord who came in the form of Bapji had signed and worshiped him….! Lovers of Bihari ji, this incident tells that if faith is fulfilled, Thakur ji also completes the work, does not let the responsibility of Bhagat remain incomplete..!!Jai Jai Shri Radhe