प्रणाम साधना 1

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भगवान श्री हरि को भजते हुए भक्त भगवान को हर भाव में प्रणाम करता है। प्रभु प्राण नाथ को तन मन से, अन्तर्मन से  प्रणाम करता है।भगवान् को तीन तीन चार चार घंटे भाव में खो जाता है और भगवान को प्रणाम कर रहा है भक्त का भगवान मुर्ति में न होकर कण-कण में समाया है। भक्त का अपने प्रभु भगवान नाथ श्री हरि को प्रणाम करना साधना हो जाती है। जिसमें भक्त भगवान को भजता है तब अपने आप हाथ जुड़ जाते हैं वृन्दावन में जाकर देखो सन्त नतमस्तक हुए मिलेगे वे मन्दिर में जाकर भगवान नाथ के चरणो में नतमस्तक हो जाते हैं हाथ जोड़कर प्रणाम करते हैं हाथ जुड़े ही रह जाते हैं। दिल ही दिल में प्रभु प्राण नाथ को हाथ जोड़कर घंटों निहारते मिलेगे। भक्त भगवान को कर जोङकर निहारता है तब भक्त शरीर रूप से नहीं है। शरीर गौण हो जाता है। भक्त को भरे पण्डाल में ध्वनि सुनाई नहीं देती दृष्टि जब भगवान मे स्थिर हो जाती है तब कुछ दिखाई नहीं देता है।

भक्ति मार्ग में भक्त भगवान को समर्पित है भक्त कहता है कि मेरा भगवान ही मुझमे बैठा है भक्त भगवान को खुली और बन्द आंखों में सब कार्य करते हुए भी भगवान को निहार लेती हूँ भक्त के भगवान दिल में बैठा है मेरा कार्य भगवान को भजना है ।भक्त कहता है कि भगवान को एक दो घंटे भजने मात्र से भगवान दिल में बैठें दिखाई नहीं देते हैं। भक्त के दिल में भगवान से मिलन की तङफ जागृत होती है तभी भक्त भगवान को हर समय भजता है। तङफ साधना को बढाती है। भक्ति अन्दर का मार्ग है जहां भगवान स्वयं ही भक्त को ज्ञान और प्रेम प्रदान करते हैं।

एक दिल की कथा हो दिल में ही कथा हो मै नहीं हो वाणी भी नहीं हो अब अन्तर्मन मे सत्संग हो अब मैं दिल की कथा में खो जाना चाहती हूं जय श्री राम अनीता गर्ग



In the path of devotion, the devotee is devoted to God, the devotee says that my God is sitting in me, the devotee looks at God even while doing all the work in the eyes of the devotee with open and closed eyes, God is sitting in the heart of the devotee, my work is to worship God. The devotee says that just by worshiping God for a couple of hours, God is not seen sitting in the heart. In the heart of the devotee, the desire for union with God is awakened, only then the devotee worships the Lord all the time. It enhances meditation. Bhakti is the inner path where the Lord Himself bestows knowledge and love to the devotee.

There should be a story of a heart, there should be a story in the heart.

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