माखन की चोरी छोड़ सांवरे,
मैं समझाऊं तोय।
बरसाने तेरी भई सगाई,
नित नई चरचा होय
बड़े घरन की राजदुलारी,
नाम धरेगी मोय
मोते कहै मैं जाऊं गइयन पै,
रह्यौ खिरक में सोय
काऊ ग्वालिन की नजर लगी है,
या दई कमरिया खोय
अरे माखन की चोरी छोड़ सांवरे
माखन मिश्री लै खाने कूं,
क्यौं है सुस्ती तोय
या तो बंशी नई मंगाय दऊं,
कह दै कान्हा मोय
अरे माखन की चोरी छोड़ सांवरे
नौलख धेनू नंद बाबा कै,
नित नयौ माखन होय
फिर भी चोरी करत श्याम,
तैनैं लाज शरम दई खोय
माखन की चोरी छोड़ सांवरे
ब्रजवासी तेरी हंसी उड़ावें,
घर घर चर्चा होय
तनक दही के कारण लाला,
लाज न आवै तोय🙏🙏