गतांक से आगे –
माता के बिना बालिका गौरा का पालन पोषण उसके पिता क्षितिश चन्द्र चक्रवर्ती कर रहे थे …उसे पढ़ा रहे थे …अक्षर ज्ञान घर में ही देते गौरा को ….पर गौरा को “कृष्ण” कहना और पढ़ना यही प्रिय था ….ये जब रोती थी …कोई आकर “हरे कृष्ण” महामन्त्र सुना देता तो ये प्रसन्न होकर ताली बजाने लगती चाहे कितनी भी रो रही हो ।
खिलौना सामने रख देते चक्रवर्ती महाशय …पर इसे खिलौने से प्रेम नही था …मृदंग झाँझ मंजीरा …इसको उठाकर …आँखें बन्दकर के संकीर्तन का स्वाँग करती गौरा…क्षितिश चन्द्र गदगद हो जाते …इस तरह ये बड़ी हो रही थी ।
आज सात वर्ष की हो गयी ….बच्ची गौरा सुन्दर तो इतनी है कि कोई सीमा ही नही ….शायद “ढाका” में कोई इतना सुन्दर नही होगा । पढ़ने अभी भेज नही रहे पिता …इसलिये कि अंग्रेजों की दृष्टि इन दिनों भारतीयों पर अच्छी नही है ….”मुसलमान और हिन्दू में फूट डालने की राजनीति पर अंग्रेज काम कर रहे हैं” ..इस बात से बहुत दुखी भी हैं चक्रवर्ती महाशय …कल की ही तो बात थी ….गौडिया मठ की एक भक्तिन को मुसलमान उठाकर ले गये ….और बाद में पता चला इसके पीछे अंग्रेज ही थे । हे भगवान ! ऐसा बंग देश में आज तक नही हुआ था ..हम लोग कितने प्रेम से रहते थे ।
चक्रवर्ती महाशय स्वभाव से शान्त हैं ….ये शान्त प्रिय व्यक्ति हैं …अध्यात्म की गूढ़ता पर चर्चा इनका प्रिय विषय है …..इनका ढाका में बहुत सम्मान था ….है , अभी भी है ….पर कल की घटना के विरोध में ये जब हिन्दू के पक्ष में रोड में उतरे तब से मुसलमान इनसे चिढ़े हुये हैं ….ढाका बन्द …..हिन्दू आक्रोशित हैं …..और हों भी क्यों नहीं ….हिम्मत तो देखो इन मुसलमानों की गौडिय मठ से उस बेचारी भक्तिन को उठा लिया …भजन करती थी वो तो …..कुछ दिन से क्षतिश चन्द्र चक्रवर्ती बाहर नही जा रहे …वो अपने घर में ही बैठते हैं और नाड़ी देखकर लोगों का ईलाज करते हैं । इनके घर के काँच के द्वार को कल किसी अज्ञात व्यक्ति ने तोड़ दिया है …पड़ोसी कह रहे हैं वो अब्दुल्ला है ….वही अब्दुल्ला जो चक्रवर्ती महोदय की मोटर गाड़ी बनाने आता था ..ओह ! इतने छोटे लोग अब ऐसी हरकत करने लगे हैं ..हे कृष्ण ! कुछ करो ..नही तो ।
बाबा ! मैं पढ़ने जाऊँगी ….अब गौरा पढ़ने की जिद्द कर रही है ।
नही गौरा ! मैं ही पढ़ाऊँगा तुझे …उसके माथे को चूमते हुये चक्रवर्ती महाशय कहते थे ।
अभी ढाका की स्थिति ठीक नही है , हिन्दू बच्ची पढ़ने नही जा सकती …इसलिए घर में ही पढ़ाने लगे थे …गौरा पढ़ रही थी ….साथ साथ ठाकुर जी की सेवा , आरती सुबह शाम घर में होता ही था …पण्डित जी आकर कर देते थे ..गौरा बड़े आनन्द के साथ उसमें भाग लेती ..गदगद हो जाती इस तरह समय बीतता गया गौरा आठ वर्ष की हो गयी ।
एक दिन –
बाबा ! दादा आये हैं …दादा आये हैं …..
इसका बड़ा भाई शिशिर आया है ….इंग्लैंड से वकील बनकर ….पिता कितने खुश थे …वो बहन गौरा कितनी आनंदित थी ….पर ….
“शिशिर ! तुम ऐसा नही करोगे”….जोर से चिल्लाये थे पिता चक्रवर्ती अपने बेटे से ।
बेचारी गौरा डर गयी थी ……
“नही , मैं अब उसी के साथ रहूँगा ….और विवाह भी उसी के साथ करूँगा “। बेटा अपने पिता को ये सब कहकर कलकत्ता चला गया था ।
बेचारी बहन गौरा संदेश लाई थी ….अपने भाई को खिलाऊँगी कहकर पर…..
“कलकत्ता की एक मुसलमान लड़की जो इसी के साथ इंग्लैण्ड गयी वकालत की पढ़ाई करने ….वहाँ दोनों का प्रेम हो गया ….और अब ये शिशिर कह रहा है मैं विवाह करूँगा तो उसी से”……ठाकुर जी की सेवा आरती करने आये वैष्णव पण्डित से अपना दुःख दर्द बता रहे थे चक्रवर्ती ….ये उसको दिखाई नही देता क्या ? मुसलमान कितना हिंसक हो उठा है !
पण्डित क्या कहें ……वो भी तो दुखी ही हैं …..
दादा क्यों चले गये ? बेचारी गौरा पूछ रही है पण्डित जी से ही ।
बेटी ! अब जो भी हैं तेरे यही हैं ….इन्हीं से कहा कर …इन्हीं को बताया कर । अब कोई दादा नही ……यही हैं तेरे दादा …….
भगवान श्रीकृष्ण का एक सुन्दर सा चित्र है उसी को दिखाते हुये पण्डित जी गौरा को बता रहे थे ।
ये सुनते हैं ? गौरा पूछती है ….हाँ क्यों नही सुनते …यही तो सुनते हैं ….पण्डित जी कह रहे हैं ।
पर ये तो भगवान हैं ….मेरी जैसी बच्ची की क्यों सुनेंगे ?
तभी क्षितिश चन्द्र चक्रवर्ती वहाँ आगये ….गौरा ! कल मैंने रात में किसकी कथा सुनाई थी ?
बाबा ! “बालक ध्रुव की” …गौरा ने अपने पिता से कहा …तो बालक ध्रुव कितने वर्ष के थे ?
“पाँच वर्ष के” …उत्तर दे रही है गौरा …ये सबकी सुनते हैं और बच्चों की तो पहले सुनते हैं ।
ये कहते हुए पिता ने अपनी बेटी को गोद में ले लिया था …पण्डित जी ने चरणामृत दिया …..
पर गौरा भगवान श्रीकृष्ण के उस मुस्कुराते हुये चित्र को ही देख रही थी ।
नही , दादा नही …मीत ….दादा गन्दे हैं ….मुझ से बात भी नही किये …मेरा सन्देश भी नही खाया ….तुम मेरे दादा नही मेरे मीत बनो ….मीत । कितनी खुश हो गयी थी गौरा ये कहते हुये और उसने ये भी कहा था ….ये बात किसी को मत बताना …पण्डित जी को भी नही …और बाबा को भी नही ।
बीस वर्ष की हो गयी अब गौरा ….बहुत सुन्दर है ये …इसकी सुन्दरता कहीं इसकी शत्रु न बन जाये यही डर लगा रहता है चक्रवर्ती महाशय को …पढ़ने के लिए भी बाहर नही जाने दिया ….घर में पढ़ाते रहे हैं गौरा को ।
गाँधी ने अनशन क्या किया कलकत्ता में उससे तो और भड़क गये हैं मुसलमान ….
ओह ! आज अख़बार पढ़ते हुए चक्रवर्ती महाशय के जीवन में फिर वज्रपात हो गया ….इनके बेटे शिशिर को कलकत्ता में मुसलमानों ने मार दिया था । पर क्यों मारा ? तुम्हारा धर्म तो उसने स्वीकार कर ही लिया था ना ! क्रोध और दुःख से चीख निकल गयी थी चक्रवर्ती महाशय की ।
गौरा बहुत दुखी हुयी है …..बहुत दुखी ।
वैसे इसने भी अनुभव कई बार कर लिया है इन साम्प्रदायिक हिंसा का …..इसको भी कई बार छेड़ा है ….पर आज तक इसे कोई छू नही सका है , ये बची है …बार बार बची है ……
मेरे “मीत” ने मुझे बचाया है …वो मेरे साथ कुछ नही होने देगा ….कोई मुझे छूकर तो दिखा दे ।
बांग्लादेश में रहकर भी ये गौरा ऐसा बोल सकती है ….कौन मीत है तेरा ? कोई पूछता तो मुस्कुरा देती ….विवाह के लिए चक्रवर्ती महाशय ने कलकत्ता से एक दो नही दसियों रिश्ता देखा होगा पर ये नही करती ….इसका मीत किसी से रिश्ता जोड़ने ही नही देता ।
ये श्रीकृष्ण के चित्र को अपने कक्ष में रखती है ..अब ये “पूजा” नही करती “प्यार” करती है ।
ये अपने मीत श्रीकृष्ण से बातें करती हैं ….श्रीकृष्ण को चूमती है ….हाँ गौरा अपनी सारी बातें नियम से अपने मीत को बताती है …और इसके मीत को आदत पड़ गयी है गौरा की बातें सुनने की ….ये चित्र में से ही इसकी सारी बातें सुनता है ….मुस्कुराता है …नाराज़ होता है ….अपनी बात मनवाता है …और उसकी बात मानता है ….क्यों नही मानेगा ?
शेष कल –
ahead of speed
Gaura, a girl child without a mother, was being brought up by her father Kshitish Chandra Chakraborty…teaching her…giving Gaura the knowledge of letters at home….but Gaura loved to say “Krishna” and read….when she used to cry … If someone would have come and recited the great mantra “Hare Krishna”, she would have been happy and started clapping no matter how much she was crying.
Chakraborty sir would have kept the toy in front of him…but he did not love toys…mridang jhanj manjira…lifting him up…Gaura pretending to sing sankirtan with eyes closed…Kshitish Chandra used to get giddy…this is how she was growing up.
Today she turns seven years old….The girl Gaura is so beautiful that there is no limit….Perhaps there will be no one so beautiful in “Dhaka”. Father is not sending to study right now… because the vision of the British is not good on Indians these days….”The British are working on the politics of dividing Muslims and Hindus” ..Chakravarti sir is also very sad about this…tomorrow It was just a matter….Muslims took away a female devotee of Gaudiya Math….and later came to know that the British were behind it. Hey, God ! This had not happened in Bang Desh till date.. We used to live with so much love.
Mr. Chakraborty is calm by nature….He is a calm loving person…Discussion on the mystery of spirituality is his favorite topic….He was respected a lot in Dhaka…..is still there….but when he protested against yesterday’s incident Muslims are annoyed with them since they entered the road in favor of Hindus….Dhaka bandh…..Hindus are angry…..and even if they are not….look at the courage of these Muslims, they picked up that poor devotee from Gaudiya Math… She used to do bhajan….Jamash Chandra Chakraborty is not going out for a few days…he sits in his house and treats people by checking their pulse. The glass door of his house has been broken yesterday by some unknown person… Neighbors are saying that he is Abdullah…. The same Abdullah who used to come to make Mr. Chakraborty’s motor vehicle.. Oh! Such small people have now started doing such things.. Oh Krishna! Do something..or else.
Dad ! I will go to study….Now Gaura is insisting on studying.
No Gaura! I will teach you… Chakraborty sir used to say kissing his forehead.
Right now the situation in Dhaka is not good, the Hindu girl child cannot go to study…so they started teaching at home…Gaura was studying….Aarti used to happen in the morning and evening at home…Pandit ji used to come and do the service of Thakur ji. Thee..Gaura used to participate in it with great joy..she would get giddy. Time passed like this, Gaura became eight years old.
A Day –
Dad ! Dada has come… Dada has come….
His elder brother Shishir has come….after becoming a lawyer from England….the father was so happy…that sister Gaura was so happy….but….
Shishir! You will not do this”…. Father Chakraborty shouted loudly to his son.
Poor Gaura was scared……
“No, I will live with him now….and will also marry him”. The son went to Calcutta after saying all this to his father.
Poor sister Gaura had brought a message….saying that she will feed her brother but…..
“A Muslim girl from Calcutta who went to England with him to study law….there both fell in love….and now this Shishir is saying that I will marry him only”……Vaishnav came to serve Thakur ji for aarti Chakraborty was narrating his sorrows and pains to the Pandit….can’t he see this? Muslims have become so violent!
What should the pundits say……they are also sad…..
Why did grandfather leave? Poor Gaura is asking Pandit ji only.
Daughter ! Now whatever is yours, these are yours…tell them only…tell them only. Now there is no grandfather……this is your grandfather……
There is a beautiful picture of Lord Krishna, while showing it, Panditji was telling Gaura.
Do you hear this? Gaura asks….yes why don’t you listen…this is what we listen….Pandit ji is saying.
But he is God… why would he listen to a child like me?
That’s why Kshitish Chandra Chakraborty came there….Gaura! Whose story did I tell last night?
Dad ! “Of the boy Dhruv” … Gaura said to his father … then how old was the boy Dhruv?
“For five years” … Gaura is answering … He listens to everyone and listens to the children first.
Saying this the father took his daughter in his lap…Pandit ji gave Charanamrit….
But Gaura was only looking at that smiling picture of Lord Krishna.
No, not Dada…Meet….Dada is dirty….did not even talk to me…did not even eat my message….you are not my grandfather but be my friend….meet. Gaura was so happy saying this and she also said this….Don’t tell this thing to anyone…not even Pandit ji…and not even Baba.
Now Gaura is twenty years old….She is very beautiful…Chakravarti sir is afraid that her beauty may become her enemy…He was not even allowed to go out to study….He has been teaching Gaura at home.
Why did Gandhi fast in Calcutta, the Muslims got angry because of that….
Oh ! Today, while reading the newspaper, Chakraborty sir’s life was again struck by lightning….His son Shishir was killed by Muslims in Calcutta. But why kill? He had already accepted your religion, hadn’t he? Chakravarti Mahasaya screamed out of anger and sorrow.
Gaura is very sad….very sad.
By the way, he has also experienced this communal violence many times…..it has also been teased many times….but till date no one has been able to touch it, it has survived…it has survived again and again……
My “meet” has saved me…he will not allow anything to happen to me….somebody should touch me and show me.
This Gaura can speak like this even after living in Bangladesh…. Who is your friend? If someone had asked, she would have smiled….Chakravarti sir must have seen not one or two but dozens of relationships with Calcutta for marriage, but she does not….her friend does not let her establish a relationship with anyone.
She keeps Shri Krishna’s picture in her room.. Now she doesn’t “worship” but “love”.
She talks to her friend Shri Krishna….kisses Shri Krishna….yes Gaura tells all her things to her friend according to the rules…and her friend has become used to listening to Gaura’s words….this is from the picture itself Listens to all the things….smiles…gets angry….makes him agree…and obeys him….why won’t he agree?
rest of tomorrow