श्रीराधाचरितामृतम्
भाग- 4
( बृजमण्डल देश दिखाओ रसिया ) उस निकुञ्ज वन में बैठे श्याम सुन्दर आज अपनें अश्रु पोंछ रहे थे।क्या हुआ
( बृजमण्डल देश दिखाओ रसिया ) उस निकुञ्ज वन में बैठे श्याम सुन्दर आज अपनें अश्रु पोंछ रहे थे।क्या हुआ
( गोकुल में प्रकटे श्यामसुन्दर ) आप क्या कह रहे हैं ब्रह्मा जी मैं और पुरोहित की पदवी स्वीकार करूँ
( “भानु” की लली – श्रीराधारानी ) प्रेम की लीला विचित्र है प्रेम की गति भी विचित्र हैइस प्रेम को
( राधे चलो अवतार लें ) “जय हो जगत्पावन प्रेम कि जय हो उस अनिर्वचनीय प्रेम किउस प्रेम कि जय
कल कल करती हुई कालिंदी बह रहीं थीं। घना कुँज था फूल खिले थे उसमे से निकलती मादक सुगन्ध सम्पूर्ण