
क्षणिक सुख सत्य नहीं
हमे अंग संग खङे प्रभु भगवान श्री हरि की खोज करनी है। उस ज्योति में समाना है जो हमारे भीतर
हमे अंग संग खङे प्रभु भगवान श्री हरि की खोज करनी है। उस ज्योति में समाना है जो हमारे भीतर
शान्ति सबसे बड़ा धन है। हम जीवन भर भटकते रहते हैं। हमे शान्ति नहीं मिलती है। आज हम इस विकट
परमात्मा को रात दिन सुबह शाम चलते हुए बैठे हुए खाते हुए, जल पीते हुए, सोऐ हुए, बाजारों में घुमते
हे परम पिता परमात्मा तुम्हें किस विधि नमन करू मेरे स्वामी हे भगवान नाथ आज दिल में तङफ पैदा हो
मैं तो हूं ही नहीं मेरा कोई नाम भी नहीं है। न ही मेरी पहचान है। मै जो दिखाई देता
गोपियों का दिन रात हर क्षण प्रभु के साथ मिलन है। रोम रोम से कृष्ण नाम की ध्वनि गुंज रही
भगवान की छवि हमारी आत्मा का हमारी भक्ति और साधना का प्रतिबिंब है।हमारी जितनी आत्मा की पुकार होगी उतने ही
समय और लगन दो ऐसे गुरु है जो भी समय और लगन को मुट्ठी में बांध कर चलता है। लक्ष्य
ध्यान की सब से गहरी विधि हैं आप भगवान को खुली आंखों से कर्म करते हुए भजे आप बोल कर
भगवान से प्रेम करो प्राणी से प्रेम करो। हर स्पर्श में जङ और चेतन में परमात्मा बसा हुआ है। परमात्मा