[107]”श्रीचैतन्य–चरितावली”
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामधनी तीर्थराम को प्रेम और वेश्याओं का उद्धार रे कन्दर्प करं कदर्थयसि किं
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामधनी तीर्थराम को प्रेम और वेश्याओं का उद्धार रे कन्दर्प करं कदर्थयसि किं
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामदक्षिण के तीर्थों का भ्रमण भगद्विधा भागवतास्तीर्थभूता: स्वयं विभो।तीर्थीकुर्वन्ति तीर्थानि स्वान्त: स्थेन गदाभृता।।
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामराय रामानन्द से साधन-सम्बन्धी प्रश्न सञ्चार्य रामाभिधभक्तमेघेस्वभक्तिसिद्धान्तचयामृतानिगौराब्धिरेतैरमुना वितीर्णै –स्तञ्ज्ञत्वरत्नालयतां प्रयाति।। दोनों ही पागल
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामराय रामानन्द द्वारा साध्य तत्व प्रकाश उदयन्नेव सविता पद्मेष्वर्पयति श्रियम्।विभावयन् समृद्धीनां फलं सुह्रदनुग्रहम्।।
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामराजा रामानन्द राय वाञ्छा सज्जनसंगमे परतुणे प्रीतिर्गुरौ नम्रताविद्यायां व्यसनं स्वयोषिति रतिर्लोकापवादाद्भयम्।भक्ति: शूलिनि शक्तिरात्मदमने
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामवासुदेव कुष्ठीका उद्धार धन्यं तं नौमि चैतन्यं वासुदेवं दयार्द्रधी:।नष्टकुष्ठं रुपपुष्टं भक्तितुष्टं चकार य:।।
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामदक्षिण यात्रा के प्रस्थान कथं ममाभून्न हि पुत्रशोक:कथं ममाभून्न हि देहपात:विलोक्यं युष्मच्चरणाब्जयुग्मंसोढुं न
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामदक्षिण यात्रा का विचार कति न विहितं स्तोत्रं काकु: कतीह न कल्पिताकति न
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामसार्वभौम का भक्तिभाव नौमि तं गौरचन्द्रं य: कुतर्ककर्कशाशयम्।सार्वभौमं सर्वभूमा भक्तिभूमानमाचरत्।। एक दिन भट्टाचार्य
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामसार्वभौम का भगवत-प्रसाद में विश्वास महाप्रसादे गोविन्दे नाम्नि ब्रह्मणि वैष्णवे।स्वल्पपुण्यवतां राजन विश्वासो नैव