
प्रत्येक जीव के लिए भोजन
बड़े भाग्य से यह अनमोल शरीर हमें मिला है।हम इस त्रिलोकी में फसे हुए अंधे कीड़े हैं। जो दर-दर की

बड़े भाग्य से यह अनमोल शरीर हमें मिला है।हम इस त्रिलोकी में फसे हुए अंधे कीड़े हैं। जो दर-दर की

श्री समर्थ रामदास स्वामी एक दिन अपने शिष्यों के साथ यात्रा पर निकले थे।.दोपहर के समय एक बड़े कुएँ के

एक बार एक शिष्य ने विनम्रतापूर्वक अपने गुरु जी से पूछा – ‘गुरु जी,कुछ लोग कहते हैं कि जीवन एक