मन को वश में करना
मन को वश करके प्रभु चरणों में लगाना बड़ा ही कठिन है। शुरुआत में तो यह इसके लिये तैयार ही
मन को वश करके प्रभु चरणों में लगाना बड़ा ही कठिन है। शुरुआत में तो यह इसके लिये तैयार ही
एक शिष्य की गुरुदेव पर आस्था है। एक शिष्य प्रतिदन अपने गुरूदेव के सामने शीश झुकाते हुए प्रणाम करता है।
करीब 95 साल पहले की बात है । राजस्थान के अलवर इलाके में एक गडरिया भेड़ चराते हुए जंगल में
पुराने समय में एक आश्रम में गुरु और शिष्य मूर्तियां बनाने का काम करते थे।.मूर्तियां बेचकर जो धन मिलता था,
एक सन्त के पास तीस शिष्य रहते थे। एक शिष्य ने गुरुजी के आगे अरदास की, “महाराज जी ! एक