भगवान (Bhagvan)

मीरा चरित भाग- 44

वहीं उनका सत्कार करके विदा कर देते हैं। सब कहते हैं कि इन बाबाओं ने ही मीरा जैसी सुन्दर, सुशील

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मीरा चरित भाग- 43

आँहों भरी आँसुओं की कराह….. विवाह की तैयारी में मीरा को पीठी (हल्दी) चढ़ी। उसके साथ ही दासियाँ गिरधरलाल को

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मीरा चरित भाग- 42

एक ने अपनी बारी आते ही कहा—’मारो मत अन्नदाता! मैंने कूकड़ो बोलताँ (मुर्गा बोलते) पेलाँ ही इण झरोखा शू एक

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मीरा चरित भाग- 41

सेवकों को पलक झपकाने का भी अवकाश न हो, ऐसे अपने-अपने मुरतबके अनुसार सावधान कार्यरत दिखायी देते हैं। अटाले (रसोई)

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मीरा चरित भाग-40

म्हारो सगपण तो सूँ साँवरिया जग सूँ नहीं विचारी।मीरा कहे गोपिन को व्हालो म्हाँ सूँ भयो ब्रह्मचारी।चरण शरण है दासी

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बड़ा सरल है उसे पाना

कुलपति स्कंधदेव के गुरुकुल में प्रवेशोत्सव समाप्त हो चुका था। कक्षाएँ नियमित रूप से चलने लगी थीं। उनके योग और

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