श्रीहित हरिवंश महाप्रभु जी के ५५० वे जन्मोत्सव १ मई
रास मध्य ललिता जु प्रार्थना जु कीनी।कर ते सुकुमारी प्यारी वंशी तब दिनी।। एक समय जब नित्य रास परायण श्री
रास मध्य ललिता जु प्रार्थना जु कीनी।कर ते सुकुमारी प्यारी वंशी तब दिनी।। एक समय जब नित्य रास परायण श्री
नमामीशमीशान निर्वाणरूपंविभुं व्यापकं ब्रह्म वेदस्वरूपं।निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहंचिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहं।।१।। अर्थ-हे मोक्षस्वरूप, विभु, व्यापक, ब्रह्म और वेदस्वरूप, ईशान दिशा के ईश्वर
‘हाँ, मीरा-जयमल मेरे पास आओ बेटा! मैं जयमल को योद्धा वेष में और मीरा को अपनी राजसी पोशाक में देखना
मैं कैसे अब दूसरा पति वर लूँ? और कुछ न सही, शरणागत समझकर ही रक्षा करो…. रक्षा करो! अरे, ऐसा
अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहम्दनुजवनकृषानुम् ज्ञानिनांग्रगणयम्।सकलगुणनिधानं वानराणामधीशम्रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि।। मनोजवं मारुततुल्यवेगमजितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठं।वातात्मजं वानरयूथमुख्यंश्रीरामदूतं शरणम् प्रपद्ये।। श्रीरामभक्त हनुमानजी साक्षात एवं जाग्रत देव हैं।
‘हाँ हजूर ।’दासी ने आकर बताया कि स्नानकी सामग्री प्रस्तुत है। ‘मैं जाऊँ स्नान करने?’—उन्होंने अपनी दोनों बेटियों से पूछा।‘पधारो।’-
मीरा ने एक बार और लौट जाना चाहा, किन्तु फूलाँ की जिद्द से विवश होकर वह साथ हो ली। यों
“सुर रखवारी सुर राज रखवारी,शुक शम्भु रखवारी रवि चन्द्र रखवारी है।”श्री राधा सभी स्वर्गीय देवताओं की रक्षक हैं और वास्तव
‘बस, इतनी-सी बात? लो पधारो। मैं चलती हूँ भोजन करनेके लिये। आपके मुख से भोजन का नाम सुनते ही जोर
अपनी दशा को छिपाने के प्रयत्न में उसने सखियों की ओर से पीठ फेरकर भीत पर दोनों हाथों और सिर