[126]”श्रीचैतन्य–चरितावली”
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामपुरी में गौड़ीय भक्तों का पुनरागमन अमृतं राजसम्मानममृतं क्षीरभोजनम्।अमृतं शिशिरे वह्निरमृतं प्रियदर्शनम्।। जो
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामपुरी में गौड़ीय भक्तों का पुनरागमन अमृतं राजसम्मानममृतं क्षीरभोजनम्।अमृतं शिशिरे वह्निरमृतं प्रियदर्शनम्।। जो
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामविष्णुप्रिया जी को संन्यासी स्वामी के दर्शन पाणिग्राहस्य साध्वी स्त्री जीवतो वा मृतस्य
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामवृन्दावन के पथ में सुजनं व्यजनं मन्ये चारुवंशसमुद्भवम्।आत्मानं च परिभ्राम्य परतापनिवारणम्।। पुरी से
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामप्रकाशानन्द जी के साथ पत्र-व्यवहार मनसि वचसि काये प्रेमपीयूषपूर्णा-स्त्रिभुवनमुपकारश्रेणिभिः प्रीणयन्तः।परगुणपरमाणून् पर्वतीकृत्य नित्यंनिजहृदि विकसन्तः
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामनित्यानन्द जी का गृहस्थाश्रम में प्रवेश न मय्येकान्तभक्तानां गुणदोषोद्भवा गुणाः।साधूनां समचित्तानां बुद्धेः परमुपेयुषाम्।।[1]
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामनित्यानन्द जी का गोड़-देश में भगवन्नाम-वितरण नित्यानन्दमहं वन्दे कर्णे लम्बितमौक्तिकम्।चैतन्याग्रजरूपेण पवित्रीकृतभूतलम्।। नित्यानन्द जी
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामसार्वभौमके घर भिक्षा और अमोघ-उद्धार सार्वभौमगृहे भुंजन् स्वनिन्दकममोघकम्।अंगीकुर्वन् स्फुटीचक्रे गौरः स्वां भक्तवत्सताम्।। गौड़ीय
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामभक्तों की विदाई यास्यत्यद्य शकुन्तलेति हृदयं संस्पृष्टमुत्कण्ठयाकठस्तम्भितवाष्पवृत्तिकलुषं चिन्ताजडं दर्शनम।वैक्लव्यं मम तावदीदृशमपि स्नेहादरण्यौकस:पीडयन्ते गृहिण:
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामभक्तों की विदाई यास्यत्यद्य शकुन्तलेति हृदयं संस्पृष्टमुत्कण्ठयाकठस्तम्भितवाष्पवृत्तिकलुषं चिन्ताजडं दर्शनम।वैक्लव्यं मम तावदीदृशमपि स्नेहादरण्यौकस:पीडयन्ते गृहिण:
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामपुरी में भक्तों के साथ आनन्द विहार परिवदतु जनो यथा तथा वानतु मुखरो