
मेरे मालिक दी किरपा
मेरे मालिक दी किरपा बहुत पर मेरा चित नही भरदेह गद्दी छोटी मंगी मिली ते हु बड़ी नु जी करदा

मेरे मालिक दी किरपा बहुत पर मेरा चित नही भरदेह गद्दी छोटी मंगी मिली ते हु बड़ी नु जी करदा

सतगुरु केवट्या बण आवो, नय्या पार लगाओ जी, पार लगाओ जी नय्या मेरी, पार लगाओ जी, आप तारण उभारण हो

तू मेरा जीवन आसरा मेरे शेहनशाह, मेरियाँ अँखियाँ दे तारे, मैं ते बस हुन जी रही आ एक तेरे सहारे,

दीदार हो गया मुझको मेरे गुरु का दीदार हो गया, सुखी परिवार हो गया मेरा गुरु की किरपा से परिवार

मेरे सतगुरु का दर ही मेरा असली ठिकाना है – 2 सतगुरु के चरणों में मैने जीवन बिताना है -2

गुरुवर दया के सागर, तेरा दर जगत् से न्यारा ॥ दुनियाँ का दर भँवर है,॥ तेरा दर ही है किनारा,

बूटी ज्ञान की पिलादो गुरुदेव दर्द मेरी नस नस में, चार महीने आये सर्दी के, सर्दी सर्दी होये, लोई नाम

कोई जाए मथुरा काशी कोई वृंदावन जाए हमने तो सारे तीरथ गुरू के चरणों में पाए आकाश से भी ऊँची

नाम जपले गुरा दा जिन्दे मेरिये नि औखी वेले कम आउगा, गुरु रविदास जी दी महिमा नियारी ऐ, पानी विच

बड़ा आनंद आवे ही बाबा जी तेरे सत्संग में जो सत्संग में पहलेया आवे उसको सत्संग पूरा भावे, वो तो