
आज बुधवार है गणपति जी का वार है
आज बुधवार है गणपति जी का वार है प्रथम पूझे अधिकारी जी की महिमा अप्रम पार है, आज बुधवार है

आज बुधवार है गणपति जी का वार है प्रथम पूझे अधिकारी जी की महिमा अप्रम पार है, आज बुधवार है

मेरे अंग अंग विच साईं मेरा बोल्दा मेरे लई भंडारे सदा साईं मेरा खोल्दा कितियाँ ने माफ़ मीथो होइया जो

कट प्रीता नाल चरखा सिमरन दा, बड़े ही बागा नाल है मिलियाँ हीरे मोतियां नाल है जडेया, छड़ी जवानी सिर

आओ स्वामी जी तुम देने दर्शन आकर भक्तों का तुम धन्य करो जीवन हर लब पे तुम्हारा नाम आता है

ज्योति से ज्योति जगाओ सद्गुरु ज्योति से ज्योति जगाओ सद्गुरू, अंतर तिमिर मिटाओ सद्गुरु, ज्योति से ज्योति जगाओ सद्गुरू, अंतर

उठ दे बहन्दे अरदास करा सोहन्दे जग दे अरदास करा, चलदे फिरदे अरदास करा हर कम करदे अरदास करा, इक

सतिगुरु नानकु प्रगटिआ मिटी धुंधु जगि चानणु होआ, सतिगुरु नानकु प्रगटिआ …. जिउ करि सूरजु निकलिआ तारे छिपे अंधेरु पलोआ,

जब सर पे गुरु का हाथ हो हाथ मन अब तोहै चिंता काहे की, मन अब तोहै चिंता काहे की,

मेरी लगी गुरु संग प्रीत, ये दुनियाँ क्या जाने ll क्या जाने कोई क्या जाने, मैं जानू याँ वो जाने

जिन्द मेरिए, जिन्द मेरिए ll तू ऐंवें न घबराया कर, गुरूजी दा ध्यान लगाया कर l जद कुझ वी नज़र