चलो चलें मन गुरु की शरण में
चलो चलें मन गुरु की शरण में बिगड़ी बनेगी तेरी गुरु के चरण में गुरु की महिमा बहुत बड़ी है
चलो चलें मन गुरु की शरण में बिगड़ी बनेगी तेरी गुरु के चरण में गुरु की महिमा बहुत बड़ी है
एक घडी आधी घडी, आधी में पुनि आध, तुलसी संगत साध की, कटे कोटि अपराध, सत री संगत के माही,
धुन वजदी नाम दी धुन वजदी, मेरे मन मंदिर विच गुरु जी दे नाम दी धुन वजदी, धुन वजदी ते
आद गुरे नम्हे, जुगाद गुरे नम्हे, सतगुरे नम्हे, श्री गुरुदेवे नम्हे, किनका एक किनका जिस जी बसावे, ताकि महिमा गनी
नैना खुले तो तेरा दर्शन हो, होठ हिले तो तेरा कीर्तन हो, याद रखु तेरे नाम को गुरूजी, मन भटके
बंगां चढ़ा लओ कुड़िओ मेरे मुर्शिद दे दरबार दियाँ, मुरशद दे दरबार दियां ते सोहनी सच्ची सरकार दियां, बंगां चढ़ा
पल पल ने गुरु जी नाल मैं क्यों गबरावा, हर वेले करण संभाल मैं क्यों गबरावा, अंग संग रेह्न्दे सदा
है हमने प्यार वो पाया जो दुनिया पा नहीं सकती, मगर कैसे कहे उसको जुबा गा भी नहीं सकती, नहीं
तोड़ चले गा जग से नाता सदा सदा के लिए सो जाएगा, एक दिन ऐसा आयेगा, धन दौलत और रिश्ते
जीवन जिसने कमलपुष्प सा हम सबका खिलाया, माध्यम बन सखा हमें शिव बाबा से मिलाया, अव्यक्त बनाने हमको अव्यक्त रूप