
गुरु वचनो को रखना सँभाल के
गुरु वचनो को रखना सँभाल के इक इक वचन में गहरा राज़ है, जिसने जानी है महिमा गुरु की उसका

गुरु वचनो को रखना सँभाल के इक इक वचन में गहरा राज़ है, जिसने जानी है महिमा गुरु की उसका

दो पल का रेन बसेरा याहा ये जगत मुसाफिर खाना है अभिमान करे काहे बंदे नही याहा पे सदा ठिकाना

मैं ता रज रज दर्शन पावा अखिया खोल खोल के, अखिया खोल खोल के अखिया खोल खोल के, तेरे चरना

प्रथम देव गुरुदेव जगत में, और ना दूजो देवा । गुरु पूजे सब देवन पूजे, गुरु सेवा सब सेवा ॥

जन्म जन्म का साथ है, “गुरुदेव तुम्हारा” ll अगर न मिलते, हमको सतगुरु, लेते जन्म दोबारा, जन्म जन्म का ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

अरदास एहो लाई मैं लाई तेरे दरबार, कोई ना दुखी होवे तू सुण लै मेरे करतार.. सबना दे दिल विच

जदो दुनिया ने आँख मेतो फेरी, गुरां ने मेरी बाह फड़ लई, मेरी तार दिति दुभि दी होइ बेड़ी, गुरां

जी मै तेरी तेरी तेरी सच्चे बादशाह के रख लै गरीब जाण के सुन फ़रियाद पीरा देया पीरा॥ मै आख

साणु पल पल बख़शणहार सहारा तेरा है तू ओट तू ही आधार सहारा तेरा है, साणु पल पल बख़शणहार सहारा

मुबारकाँ सतिगुरु मेहर करी अज लगियां ने वेहड़े साडे रोनका, सतिगुरु प्यारे कर्म कमाया अज दिन खुशियाँ वाला आया, वेखो