चरना दा अमृत पी लो जी
चरना दा अमृत पी लो जी सर दाता दे दर रख लो जी चरना दा अमृत पी लो जी गुरु
चरना दा अमृत पी लो जी सर दाता दे दर रख लो जी चरना दा अमृत पी लो जी गुरु
दर्शन नु दिल तरस रह ऐ, मछली वांगु तड़फ रहा ऐ नीर छमा छम बरस रहा ऐ प्रेम घटा चड
कोई शिष्य गुरु चरणों में जब शिष्य झुकता है, परमात्मा खुद आकर आशीष लुटाता है। गुरु चरणों में पूजन का
दिल में वसी तस्वीर तेरी तूने लिखी तकदीर मेरी, भूल के भूल को तुमने गुरु प्रभु चरणों में अस्थान दिया,
फरयाद मेरी सुन के गुरु देव चले आना करू विनती यही गुरु जी चरनो में जगह देना फरयाद मेरी सुन
गुर जी तेरे चरणों में हर स्वास गुजर जाये, जिस स्वास तुझे भूलू वो स्वसे ठहर जाए, गुर जी तेरे
ना ही सोना चांदी ना खज़ाना चाहिदा, मेनू तेरे चरना च ठिकाना चाहिदा, ठिकाना चाहिदा गुरु जी ठिकाना चाहिदा, मेनू
तेरा मेरा ये रिश्ता पुराना हैं गुरुद्वार ही एक ठिकाना हैं एक साथ तू ही निभाता हैं गुरू शिष्य का
गुरु जी तेथो वारि वारि वे तुसी ता सारी दुनिया तारी ऐ, नही लभना तेरे जेहा दुखा ने घेर लिया,
मेरा सतगुरु कांशी वाला मैं तेरे नाम ओहदे दी माला, हर हर नाम दा होका लौंडे कुल जगत नु बेगम