सतगुरु तुम्हारे प्यार ने जीना सीखा दिया है
सतगुरु तुम्हारे प्यार ने जीना सीखा दिया है, हमको तुम्हारे प्यार ने इन्सां बना दिया है ॥ रहते है जलवे
सतगुरु तुम्हारे प्यार ने जीना सीखा दिया है, हमको तुम्हारे प्यार ने इन्सां बना दिया है ॥ रहते है जलवे
तुमसे ही मिली खुशिया तुम से जिंदगानी है, जो कुछ भी हु मैं गुरुवर तेरी मेहर वाणी है तुमसे ही
संत का सत्कार होना चाहिए, देव सा व्यवहार होना चाहिऐ ।। संत को पुजो ना पुजो पंथको, सत्य का आधार
एक डोर लग जाऊंगा गुराजी थारे, शरणा पड्या रहूँगा एक डोर लग जाऊंगा गुराजी थारे, शरणा पड्या रहूँगा पत्थर न
जे सुख पाना है चल गुरु जी दे कोल प्यारियाँ, रब न माना है चल गुरु जी दे कोल प्यारया,
दर्शन करिये सब सुख पाइये, गुरु जी दा नाम धिआइये, प्रथम गुरु न सिमरिये गुरा न अंग संग पाइये, चरना
मन जुडेया सतगुरु नाल नि मैं सद के नि मैं सद के हर वेले नि हर हाल नि मैं सद
हम जो सहारा ढूंढ ते थे वो सहारा मिल गया, हम को हमारी खुशियों का संसार सारा मिल गया, जग
सतगुरु बेगा पधारो सा, पार लगा दो जहाज, पार लगा दो जहाज, गुरुजी पार लगा दो जहाज, भव सागर भरयो
श्रृष्टि करता कलम दा कातब संगीत अचारेया साहित कार, सर्व कला समर्थ सम्पूर्ण सतगुरु वाल्मीकि अवतार श्रृष्टि करता कलम दा