
है मन में यही भगवान प्यारी सी आशाये
मैं तुझको नजर आऊ तू ही मुझको नजर ये, है मन में यही भगवान प्यारी सी आशाये, मेरे लिए मेरे

मैं तुझको नजर आऊ तू ही मुझको नजर ये, है मन में यही भगवान प्यारी सी आशाये, मेरे लिए मेरे

पाइया तेरे दर तो मैं रेहमता हज़ारा हां, शुक्र गुजरा गुरु जी शुक्र गुजरा, कोडियां दा मूल नहीं सी हीरिया

सुख वेले करीए शुकराना, दुख वेले अरदास हर वेले ओहदा सिमरन करीए, तां हर कम आवे रास सुख वेले करीए

मेरे गुरां ने लगाई फुलवारी के पत्ता पत्ता राम बोलदा, आके देखो गुरु जी इक वारी पत्ता पत्ता राम बोलदा,

गोविन्द गोविन्द कृष्ण कृष्ण बोल ले, हरि नाम कि चाभी लेके हिरदै के पट खोल ले, गोविन्द गोविन्द कृष्ण कृष्ण

दिल में प्रेम की ज्योत जलाई गुरु से ऐसी प्रीत लगाई मेरी प्रीत कभी ना टूटे ऐसा वर दे दो

साढ़े नैना विच गुरूजी का रूप बसेया नैन खोला किवे, नैन खोला किवे॥ साढ़े नैनो में गुरूजी का रूप बसेया,

नन्हा सा फूल हूँ मैं, चरणों की धुल हूँ मैं । आया हूँ मैं तो तेरे द्वार, गुरु जी मेरी

चढ़ गई चढ़ गई जी मेनू नाम वाली मस्ती, जब सत्संग गुरु जी करदे, मुखो अमृत वर्षा करदे, मिट गई

माही वादा करके आप दा, ते ना आप आया न पैगाम आया, ऐसा रोग लगा इस जींदडी नु, ना मौत