
ग़ुर का दर्शन
गुरु का दर्शन देख देख जीवा, गुरु के चरण धोये धोये पीवा, तिसु गुरु क्यों सिमरु सासि सासि, गुरु मेरे

गुरु का दर्शन देख देख जीवा, गुरु के चरण धोये धोये पीवा, तिसु गुरु क्यों सिमरु सासि सासि, गुरु मेरे

जिसके सिर ऊपर तू स्वामी, सो दुःख कैसा पावे । बोल ना जाने माया मदमाता, मरना चित ना आवे, जिसके

सतगुर आवणगे फेरा पावणगे घर मेरे, जी मैं सदके जावा उस वेले, नी मैं फुल्ला वाला आसन लाया, उते सतिगुरा

तेरे हथा दा खडोना हां दतेया, जिहवे मर्जी तू मैनु नचाई जा मैं पतंग तेरे हथ डोर है, भावे कटदी

चंगा लगदा नहीं जग विच वसना गुरु जी तेरे कोल वसना, सतगुरु प्यारे तू जल्दी आना डुबदी नैया तू पार

पाईयां तेरे दर तो मैं रेहमता हज़ारा दिन रात सतगुरु तेरा शुक्र गुजारा कौड़ीआं दा मुल नहीं सी, हीरेया दा

सदा सुख पाया सुख पाया रहम तेरी सुख पाया जन नानक की अरदास,सुख पाया सुख पाया, मेरे विरथा जानी अपना

सभी भाया ने अरज मारी, नार करगसा आणी, संत आता देखिया, दूध में मिलायो पाणी , पांच पच्चीस भैसियां मले,

जद याद बाबा जी तेरी आई वे अखिया नु रोना पै गया॥ ना रो जिन्दे मेरा गुरु लैण आवेगा, रोंदी

शुकर करा हर वेले गुरु जी शुकर करा हर वेले सुखा वालियां दिल देके कनिया कटी दुःख झमेले शुकर करा