नाम दा गहना पाया गुरां ने
नाम दा गहना पाया गुरां ने ,विच सत्संग बिठा के, तन मन होइयां निर्मल मेरा,दर्शन गुरां दा पा के, नाम
नाम दा गहना पाया गुरां ने ,विच सत्संग बिठा के, तन मन होइयां निर्मल मेरा,दर्शन गुरां दा पा के, नाम
लेलो सत्संग मिठियां गनेरियाँ, मेरे गुरा ने लइया ढेरियां, लोकी सोनदे ते मैं पई जागदी, तेरे नाम वाला दीवा पई
चल कपट त्याग दीजे, गुरु जी के शरण लीजे। मन को विशाल कीजे, खेलिए मैदान में ॥ गुरु के सामान
हे री कोई आया हे जगत मे. आतम ग्यान कराने वाला। आतम ग्यान करने वाला . रविदास कहाने वाला॥ नहाने
गुरुदेव हमें तेरी बड़ी याद सताती है, एक पल की जुदाई भी हमको तड़पाती है, तुम ब्रम्हा विष्णु हो,तुम शंकर
दर्शन को बल जाओ गुरु जी के दर्शन को बल जाओं, जप जप जीवा सतगुरु नाम गुरु जी के दर्शन
गुरु जी ना होते तो कुछ भी ना होता, ना तुम होते ना मैं होता, न फूलो में खुशबू होती,
एक बार वंदना अनेक बार वंदना, जी हाथ जोड़ गुरा नु मेरी वंदना, सतगुरु मेरे पारभरम है, दिन रात जगदे
प्यार का इक जहां साथ लाये हो तुम, कौन हु कैसी दुनिया से आये हो तुम, चाँद तारो में भी
मेहर करो साहनु चरनी लगाओ, भव सागर तो पार लगाओ, सुन अरदास तू मेरी, अरदास करा अरदास करा, तू ऊंचा