
आज गुरु जी मेरे घर आये ने
नी मैं उचिया भागा वाली मेरी कुटिया दे भाग जगाये, आज गुरु जी मेरे घर आये ने, नी मैं राह

नी मैं उचिया भागा वाली मेरी कुटिया दे भाग जगाये, आज गुरु जी मेरे घर आये ने, नी मैं राह

अमर बनाया रे आज म्हाने अमर बनाया रे, म्हारा सतगुरु दीनदयाल, आज म्हाने अमर बनाया रे, म्हारा दाता दीनदयाल, आज

अब तो झूठा लगता है सब संसार, मैं आया तेरे द्वार तू पा प्रबु का दीदार, अब तो झूठा लगता

मरुधर में ज्योत जगाय गयो, बाबो धोली ध्वजा फहराय गयो, म्हारो साँवरियो बनवारी, बण्यो पचरंग पेचाधारी, भक्ता रे कारण, अजमल

मैं वारी जाऊं रे, मैं वारी जाऊं रे, बलिहारी जाऊं रे मारे सतगुरु आंगड़ आया, मैं वारी जाऊं रेसतगुरु आंगड़

गुरु नाम जो जपे दुःख दर्द मिटे सदा नाम जपना, तेरा जीवन है अनमोल यु ही मिटटी में न रोल

मेरे हिरदे वसो रविदास प्रभु मेरे हिरदे वसो रविदास, मैं है नौकर तेरे दर दा पूरन कर देयो आस, मेरे

वेडा पार लगा ले तू बंदेया सतगुरु दे लड़ लड़ लग गे, कुछ नाल न जाने है सब कुछ रह

हरी की कथा सुनाने वाले, गोविन्द कथा सुनाने वाले, तुमको लाखों प्रणाम, तुमको लाखों प्रणाम । हम भूल रहे थे

लुक़ लुक़ दुनियाँ नू इशारे करदे, नजर न औंदे पर झोली बरदे, चरना दे विच ऐहदे जनत समाई ऐ, भागा