किसे क्या मिला मुकदर की बात है
किसे क्या मिला मुकदर की बात है ख़ुशी है येही तू तो मेरे साथ है, किस्मत में नहीं था जो
किसे क्या मिला मुकदर की बात है ख़ुशी है येही तू तो मेरे साथ है, किस्मत में नहीं था जो
मेरी हाज़री लग जाए गुरूजी के सत्संग में, गुरु जी के सत्संग में मेरी हाज़री लग जाये, मुझे सतगुरु मिल
प्रीत गुरा री भली रावलिया जोगी प्रीत गुरा री भली, लागी ना लागी जारी भरम ना भागी ॥ सुरत शब्द
गुरु के बिना क्या जीवन, गुरु तो देते है ज्ञान, जो गुरु को न जाने, है जीवन नरक समान, जनम
हो किरत करो ते वंड छको दा लाया होका, एह सोच सची करतार दी है, है इक दिन पानी धरती
मेरे साहिबा मैं तेरी हो मुक्की हाँ, मैनु मेरे साहिबा, मनो ना वसारी, हर गल्लों मैं टुकिया, मेरे साहिबा मैं
आया तेरा जनम ढ़िहाड़ा गूंज रहा आज आलम सारा, करके सब दा पार उतारा किता दुख दा नाश, पालकी आई
सतनाम श्री वाहेगुरु, तू प्रभ दाता, दान मत पूरा, हम थारे, भीखारी जिओ, मैं क्या माँगू किछ थीर ना रहाई,
रब मेरे सतगुरु बनके आये मत्था टेक लैन दे, मैनु वेख लैन दे मत्था टेक लैन दे, चिटा चोला खुलिया
सब सौंप दो प्यारे प्रभु को सब सरल हो जाएगा, खुशियों की सूंदर झील में जीवन का मल मुश्काएगा, है