आरती टेकचंद जी महाराज की
ॐ जय गुरुदेव हरे, ॐ जय गुरुदेव हरे, दीनजनों के संकट, तुम गुरु दूर करें , पुण्य पयोनिधि पावन, आलरी
ॐ जय गुरुदेव हरे, ॐ जय गुरुदेव हरे, दीनजनों के संकट, तुम गुरु दूर करें , पुण्य पयोनिधि पावन, आलरी
मेरे सोहने गुरु मेरे प्यारे गुर चन वरगे गुरु जी मेरे, चरण धोये धोये के पीवा मैं तेरे, गुरु जदो
जब सिर पर तेरा हाथ नाथ मैं क्यों डोलू, जब मिल गया तेरा साथ नाथ मैं क्यों डोलू, ये नैया
मेरा अंतर तिमिर मिटाओ, सतगुरु ज्योत से ज्योत जलाओ। हे योगेश्वर, हे परमेश्वर, निज कृपा दृष्टि बरसाओ सतगुरु ज्योत से
तुम्बा मेरे साई दा हर हर बोल्दा, दिल वटे दिला दिये एह सांझ नु है खोल्दा, तुम्बा मेरे साई दा
संईयो मेरे सतगुरु दा दरबार अनोखा हैं मैं ता सारा जग वेखिया सब धोखा ही धोखा है जन्मांं तों रूलदांमैं
रेहमत तेरी ऐसी हुई क्या मैं बताओ मैं क्या हो गई, किरपा गुरु जी तेरी हुई ज़िंदगी गमो से रिहा
ਓ ਮੈਨੂੰ ਸਤਗੁਰੂ ਮਿਲ ਜਾਵੇ ਕੱਲਾ, ਮੈਂ ਫੜ ਲਵਾਂ ਪੱਲਾ, ਦਿਲ ਖੋਲ ਕੇ ਸੁਣਾਵਾਂ ਬੀਤੀਆਂ ਛੱਡ ਦਿਤੀਆਂ ਸਾਰੇ ਜੱਗ ਦੀਆ
हिरदये विराजो प्रभु जी सतगुरु प्यारेअर्जी करू मैं दाता दर पे तुम्हारे,मन मेरा बांधो स्वामी श्री चरणों से,निर्धन की झोली
गुरु जी मैनु चरना दा रख लो सेवादार, तेरे दर दी करा चाकरी हां हर दे इक वार गुरु जी