
हिरदये विराजो प्रभु जी सतगुरु प्यारे
हिरदये विराजो प्रभु जी सतगुरु प्यारेअर्जी करू मैं दाता दर पे तुम्हारे,मन मेरा बांधो स्वामी श्री चरणों से,निर्धन की झोली

हिरदये विराजो प्रभु जी सतगुरु प्यारेअर्जी करू मैं दाता दर पे तुम्हारे,मन मेरा बांधो स्वामी श्री चरणों से,निर्धन की झोली

गुरु जी मैनु चरना दा रख लो सेवादार, तेरे दर दी करा चाकरी हां हर दे इक वार गुरु जी

ऐसा रंगया गुरा ने मन मेरा मैं राम राम बोलदी फिरा बेहमा परमा दा मुक्या कलेरा मैं राम राम बोलदी

मेरे सोहने सत्गुरा ने आज रहमता लुटाईया ने, उह्दी दया मेहर वेख के अखिया भर आईया ने, उह्दी दया मेहर

गुरा दे दवारे चल बन्दया जिथे बिगड़ी बनाई जान्दी है, इस जग दी शोभा नयारी है, गल मन्दी दुनिया सारी

ਗੁਰੂ ਜੀ ਕਲਮ ਦਵਾਤ ਹੱਥ ਤੇਰੇ ਕਿ ਚੰਗੇ ਮੇਰੇ ਲੇਖ ਲਿਖਿਓ, ਗੁਰੂ ਜੀ… 1 ਪਹਿਲਾ ਤਾਂ ਲੇਖ ਮੇਰੀ ਅੱਖਾਂ ਦਾ

चरण कमल तेरे धोए धोए पीवां मेरे सतगुरु दीन दयाला कुर्बान जाऊं उस वेला सुहावा जित तुम्हरे द्वारे आया चरण

मेरे सतगुरु मुझको देना सहारा, कही छूट जाए न दामन तुम्हारा, चमकते है दुनिया में जो चाँद तारे, तेरी ज्योति

मेरे गूर जी का अद्भुत शिवाला जो भी आये वो जाए निहाला. जब दुभ रही थी कश्ती मेरी तब मिल

मैनु रोक ना गुरु दे दर जा लें दे, जाके अपने गुरु जी न मना लेंदे, मैनु रोक ना गुरु