
श्री वलभ गुरु के चरणों में
श्री वलभ गुरु के चरणों में मैं नित उठ शीश निभाता हु मेरे मन की कलि खिल जाती है जब

श्री वलभ गुरु के चरणों में मैं नित उठ शीश निभाता हु मेरे मन की कलि खिल जाती है जब

मोती सतगुरु लुटान्दे हर वेले तैनू लूटना ना आवे ते मैं की करा फल निव्या रखा नु लग्दे ने तैनू

हाथ जोड़ प्रणाम सतगुरां दा ई, जीना बक्शेया भक्ति दा दान मैनु। बड़े भाग्य अज्ज दासी दे आन होए, गुरु

गुरु देव तुम्हारे चरणों में बैकुंठ का वास लगे मुझको, अब तो तेरे ही रूप बस प्रभु का एहसास लगे

वारी जाऊं रे , बलिहारी जाऊं रे मारे सतगुरु आंगड़ आया, मैं वारी जाऊं रे सतगुरु आंगड़ आया, हे गंगा

तेरे नाम की महिमा सब संत गाते है साँचा धन जीवन का प्रेमी ही कमाते है, ये कर्म हुआ

वाहेगुरु वाहेगुरु वाहेगुरु ॥ धन नानक तेरी वड्डी कमाई॥ सिध बोलन शुभ बचनः ॥ तेरी वड्डी कमाई ॥ धन नानक

धन भाग ओहना दे जी जीना दे घर संत परोने आये, कौन किसे वल आवे जावे सतिगुर मेरा आप भुलावे,

गुरुजी के चरणों में रहना भाई चेला थारे, दुणी दुणी वस्तु मिले रे हे रे जी गुरुजी के चरणों में

तेरे ही भरोसे मैं ओ शाहो के शाह तू चरणो से अपने ना करना जुदा तेरे दर का कोई ठिकाना