केवल गुरु किरपा सब नु तारदी
केवल गुरु किरपा सब नु तारदी भव सागर पार उतार दी, गुरु किरपा गुरु किरपा, गुरु ही ब्रह्मा गुर ही
केवल गुरु किरपा सब नु तारदी भव सागर पार उतार दी, गुरु किरपा गुरु किरपा, गुरु ही ब्रह्मा गुर ही
तेरे चरणों में मैंने जब से गुरु जी अपना शीश जुकाया है, बिन मांगे भर दी झोली मेरी तुझसे ही
चिठ्ठी न कोई सन्देश जाने वो कौन सा देश याहा तुम चले गये, इस दिल पे लगा के ठेस यहाँ
मेरी माँ से मिलाने वाले गुरुदेव नमो गुरुदेव नमो मेरे सतगुरु घट घट वासी, दूर कर देंगे मन की उदासी,
गुरु बिन कौन बतावे बाट बड़ा विकिट यम घाट भ्रान्ति की पहाड़ी, नदिया बीच में अहंकार की लाट । बड़ा
साधो भाई सतगुरु है अवतारा, गुरु गंगा गुरु गोमती गुरु बद्री कैलाश, गुरु अड़सठ तीर्थ है लादूदास जिनकी आस, साधो
तेरे चरना च जोड़ी प्रीत वे, मैं ता जग दी भूलीया रीत वे, नजर मेहर दी डाल के तू एक
मोहे लागी लगन गुरु चरणन की | चरण बिना मुझे कुछ नहीं भाये, जग माया सब स्वपनन की | भव
बस एहो अरदास गुरु जी बस एहो अरदास, दूर करि न चरना कोलो रखी हर दम पास, बस एहो अरदास
जिसे खोजती सारी दुनिया वो बैठा सामने हमारे, ज्ञान सूरज ज्ञान चंदर माँ के हम ज्ञान सितारे, जिसे खोजती सारी