
मेरी बदल गई काया गुरु देव तेरी माया,
अंधियारे में भटक रहा था मेरा सारा जीवन, जब से गुरु के चरणों में मैंने किया है सब अर्पण, मेरी

अंधियारे में भटक रहा था मेरा सारा जीवन, जब से गुरु के चरणों में मैंने किया है सब अर्पण, मेरी

सुबह सवेरे लेकर तेरा नाम प्रभु , करते है हम शुरू आज का काम प्रभु जय गुरु जी शिव शम्भू

सियो सुपना सुनावा कल रात दा, गुरां नाल गल्लां कितियाँ, नि मैं सुपने च होई गल बात दा, सुपना सुनावा

तेरा ही वजूद है एह मेरे मुर्शिद बिना तेरे मेरा नहीं है गुजारा, तेरा ही कर्म है ये तेरी ही

ਜਦੋਂ ਫੜਿਆ ਗੁਰੂ ਜੀ ਤੇਰਾ ਪੱਲਾ, ਕੇ ਸਾਨੂੰ ਤੇ ਨਜ਼ਾਰਾ ਆ ਗਿਆ ਮਿਲੇ ਰਾਮ ਗੋਡ ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਅੱਲਾਹ, ਕੇ ਸਾਨੂੰ

है कोई संत राम अनुरागी। जाकी सुरत साहब से लागी। अरस परश पिवके रंग राती, होय रही पतिब्रता॥॥ दुतुयां भाव

नैया पड़ी मझदार, गुरु बिना कैसे लगे पार। मैं अपराधी जनम को, मन में भरा विकार, तुम दाता दुःख भंजना,

गुरु बिन घोर अँधेरा संतो , बिना दीपक मंदरियो सुनो, अब नहीं वास्तु का वेरा हो जी, जब तक कन्या

ओहने की लेना ओहनू की मिलना जिहदा इक था मन कदे टिकियाँ न ओहने था था जाके की सीखना जेह्डा

सोने दे भावे महल बना ले, हीरे मोती नाल जड़ा ले, धर्म राज दे यमा ने तनु खाली कर के