सुपना सुनावा कल रात दा
सियो सुपना सुनावा कल रात दा, गुरां नाल गल्लां कितियाँ, नि मैं सुपने च होई गल बात दा, सुपना सुनावा
सियो सुपना सुनावा कल रात दा, गुरां नाल गल्लां कितियाँ, नि मैं सुपने च होई गल बात दा, सुपना सुनावा
तेरा ही वजूद है एह मेरे मुर्शिद बिना तेरे मेरा नहीं है गुजारा, तेरा ही कर्म है ये तेरी ही
ਜਦੋਂ ਫੜਿਆ ਗੁਰੂ ਜੀ ਤੇਰਾ ਪੱਲਾ, ਕੇ ਸਾਨੂੰ ਤੇ ਨਜ਼ਾਰਾ ਆ ਗਿਆ ਮਿਲੇ ਰਾਮ ਗੋਡ ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਅੱਲਾਹ, ਕੇ ਸਾਨੂੰ
है कोई संत राम अनुरागी। जाकी सुरत साहब से लागी। अरस परश पिवके रंग राती, होय रही पतिब्रता॥॥ दुतुयां भाव
नैया पड़ी मझदार, गुरु बिना कैसे लगे पार। मैं अपराधी जनम को, मन में भरा विकार, तुम दाता दुःख भंजना,
गुरु बिन घोर अँधेरा संतो , बिना दीपक मंदरियो सुनो, अब नहीं वास्तु का वेरा हो जी, जब तक कन्या
ओहने की लेना ओहनू की मिलना जिहदा इक था मन कदे टिकियाँ न ओहने था था जाके की सीखना जेह्डा
सोने दे भावे महल बना ले, हीरे मोती नाल जड़ा ले, धर्म राज दे यमा ने तनु खाली कर के
सुख रखी दतिया तू सबना दे वेहड़े, एहो अरदास मेरी चरना च तेरे, किरपा बनाई रखी साई बाउ मेरे, एहो
आप के साथ रहना है बाबा हमें आप के पास चलना है बाबा हमें, तोड़ कर के मन के सारे