जिथे सत्संग लगदे
सोहने लगदे ने महल चबारे जिथे सत्संग लगदे सत्संग दे विच हिरे मोती विच गुरा दी जग रही ज्योती आओ
सोहने लगदे ने महल चबारे जिथे सत्संग लगदे सत्संग दे विच हिरे मोती विच गुरा दी जग रही ज्योती आओ
गुरुदेव कृपा करके मेरी बात बनादो ना, बिगड़ी कई जन्मों की इस बार बनादो ना॥ गुरुदेव…….. मेरा हाथ पकड़ लो
कोई काम दुनिया में शुरू ही न होता अगर इस जहाँ में कोई गुरु ही ना होता गीता रामायण में
तेरी याद में जब आँसू, आँखों में आते हैं ll एक दर्द उठे मीठा, और हम मुस्काते हैं l तेरी
गुरुवर तेरे चरणों की, गर धुल जो मिल जाए ll सच्च कहता हूँ मेरी, तकदीर बदल जाए ll गुरुवर तेरे
ओम नमः शिवाय शिव जी सदा सहाय, ओम नमः शिवाय गुरु जी सदा सहाय शिव भोले का रूप है मेरे
छोड़ कर संसार जब तू जाएगा, कोई ना साथी तेरा साथ निभाएगा। गर प्रभु का भजन किया ना, सत्संग किया
मेरी आखों में तुम ही तुम हो माला के मोतियों में तुम ही तुम हो तेरा उजाला आर पार है.
अस्सा लुटया लुटया गुरा जी दा प्यार, गुरा ने साडा दिल लुटया, साडी जुड़ गई जुड़ गी नाम नाल तार गुरा
जैसा सोचोगे तुम वैसा बन जाओ गे, जैसा कर्म होगा वैसा फल पाओ गे, श्रीस्टी करू का आधार है खुद