भला करि करतार दुनिया दा भला करि करतार
दुनिया दे विच चारे पास मच गई हाहाकार , भला करि करतार दुनिया दा भला करि करतार, सूरज धरती आकाश
दुनिया दे विच चारे पास मच गई हाहाकार , भला करि करतार दुनिया दा भला करि करतार, सूरज धरती आकाश
तेरे सनेह के सागर में, तू ही समाये रहते हो, जग तो जग ही रहा बाबा, हम खुद से पराये
कागा बोलेया बनेरे उत्ते बैके, गुरुआ ने तनु याद करिया, शेती चल ज़िंदे बड़े मंदिर तू, गुरुआ ने तनु याद
शरद की पूनम पर जो भी कड़छा जाते हैं । गुरूवर टेकचंद जी उनको गले से लगाते हैं ॥ समाधी
तेरे दर दी कमली हो जावा, तनु पाके मैं ता खो जावा मैं खो जावा, तेरे दर दी कमली हो
तन तो बैठा तेरे द्वारे मन रसिया चोबारे, गुरु जी कुण्डी पाओ गुरु जी मन समजाओ, तन तो बैठा तेरे
नी मैं वारी वारी जावा अपने गुरा तो आप तरे जग तारिया ऐथे गुरा ने इस्नान जे किता ऊथे मैं
नाम प्रभु दा जप बंदेया,धन दौलत दा मान न करिये, आखिर जाना मर बंदेया,नाम प्रभु दा जप बंदेया नाम जपन
मेनू है आस तेरी तू आसरा है मेरा, तेरी याद विच बीते हर शाम ते सवेरा, मेन्नु है आस तेरी
सतगुरु तुम्हारी यादें पल पल रुला रही है कब आओगे ये अखियां आंसू बहा रही है चिट्ठी न कुछ संदेसा