
अस्सा लुटया लुटया गुरा जी दा प्यार
अस्सा लुटया लुटया गुरा जी दा प्यार, गुरा ने साडा दिल लुटया, साडी जुड़ गई जुड़ गी नाम नाल तार गुरा

अस्सा लुटया लुटया गुरा जी दा प्यार, गुरा ने साडा दिल लुटया, साडी जुड़ गई जुड़ गी नाम नाल तार गुरा

जैसा सोचोगे तुम वैसा बन जाओ गे, जैसा कर्म होगा वैसा फल पाओ गे, श्रीस्टी करू का आधार है खुद

दुनिया दे विच चारे पास मच गई हाहाकार , भला करि करतार दुनिया दा भला करि करतार, सूरज धरती आकाश

तेरे सनेह के सागर में, तू ही समाये रहते हो, जग तो जग ही रहा बाबा, हम खुद से पराये

कागा बोलेया बनेरे उत्ते बैके, गुरुआ ने तनु याद करिया, शेती चल ज़िंदे बड़े मंदिर तू, गुरुआ ने तनु याद

शरद की पूनम पर जो भी कड़छा जाते हैं । गुरूवर टेकचंद जी उनको गले से लगाते हैं ॥ समाधी

तेरे दर दी कमली हो जावा, तनु पाके मैं ता खो जावा मैं खो जावा, तेरे दर दी कमली हो

तन तो बैठा तेरे द्वारे मन रसिया चोबारे, गुरु जी कुण्डी पाओ गुरु जी मन समजाओ, तन तो बैठा तेरे

नी मैं वारी वारी जावा अपने गुरा तो आप तरे जग तारिया ऐथे गुरा ने इस्नान जे किता ऊथे मैं

नाम प्रभु दा जप बंदेया,धन दौलत दा मान न करिये, आखिर जाना मर बंदेया,नाम प्रभु दा जप बंदेया नाम जपन