मेरे सतगुर दे दरबार
मेरे सतगुरु दे दरबार, संगता आइयाँ संगता आइयाँ, लै के दिल विच प्रेम प्यार, संगता आइयाँ संगता आइयाँ, मेरे सतगुरु
मेरे सतगुरु दे दरबार, संगता आइयाँ संगता आइयाँ, लै के दिल विच प्रेम प्यार, संगता आइयाँ संगता आइयाँ, मेरे सतगुरु
मन सतगुरु सतगुरु बोल तेरा नही लगेगा मोल, दस बीस कोस मै चलना पग समझ समझ कर धरना, मत कर
बिना बईल गेरी गाड़ी गुरु सिंगाजी न बिना बईल गेरी गाड़ी रे हो आसी राजा का द्वार पर ठाड़ी गुरु
वरदान यही दे दो मेरे सतगुरु सुखदाते , बीते ये मेरा जीवन तेरे गुण गाते गाते, तेरी सूरत सुख्हानी नैनो
रातो को उठ उठ कर जिनके लिए रोते है, वो अपने मकानों में आराम से सोते है, कुछ लोग ज़माने
सच्चे पातशाह मेरी बक्श खता , मैं निमाना, तू बेअंत तेरा अंत न जाना, सचे पातशाह… दीन छोड़दुनी संग लागा,
ओहने की लेना ओहनू की मिलना जिहदा इक था मन टिकियाँ न ओहने था था जाके की सिख ना जेह्डा
गुरु नानक दे दास असि है गुरु नानक दे दास, भला हॉवे सरबत दा नित करदे हां अरदास, गुरु नानक
जिस के सिर उपर तू सुआमी सो दुःख कैसा पावे, बोल न जाने माया मधि माता मरना चिति न आवे,
अल्लाह भी राम इशु वाहेगुरु भी तू एह कुदरत एह कायेनात विच तू ही तू बस तू सब कुछ बिन