
जिसके सिर ऊपर तू सुआमी
जिस के सिर उपर तू सुआमी सो दुःख कैसा पावे, बोल न जाने माया मधि माता मरना चिति न आवे,

जिस के सिर उपर तू सुआमी सो दुःख कैसा पावे, बोल न जाने माया मधि माता मरना चिति न आवे,

अल्लाह भी राम इशु वाहेगुरु भी तू एह कुदरत एह कायेनात विच तू ही तू बस तू सब कुछ बिन

मेरे हिरदये में बाबा तुम्हारी याद के दीप जलते रहे, ऐसा लगता प्रीत की छर में छर छर इस जीवन

कृपा की एक नज़र गुरुवर हमारी ओर कर देना मिटा कर मोह तम उर दीप में तुम ज्योति भर देना

मन राम सिमरु मन राम सिमर पश्तायेगा पश्तायेगा, मन राम सिमरु मन राम सिमर पापी जीयरा लोब करत है, आज

अज भी चले लंगर बाबे नानक जी दा लाया नाम जपो ते किरत करो सी सब नु वन्द छकाया भव

धन गुरु नानक धन गुरुनानक, ऐसा लंगर रचाया जग ते भूखा न कोई रह पाया, जिस ने पढ़ लई वाणी

कीवे व्यान करा सतगुरु तेरी महिमा अप्रम पार, जग ते तोड्या शीशे वांगु तू लाया सीने नाल, कीवे व्यान करा

संगम की बेला है सुहानी, ये समय है बड़ा वरदानी, संगम पर ही शिव बाबा है आते, ज्ञान शंख से

सत्गुराजी से ध्यान लगा आ…आ…आ…आ रे मनवा क्यो फिरता विषयो मे वीषयो मे सभी इंद्रियों को तू सम करले, इष्ट